चेयरमैन,एमडी पदों पर विशेषज्ञ अभियन्ताओं को करें तैनात: अभियन्ता संघ

  • निजीकरण समाप्त करने की मांग

Lucknow : बिजली व्यवस्था में लगातार हुए सुधार को देखते हुए पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करना चाहिए। विकसित भारत के संकल्प को सफल बनाने के लिए ऊर्जा निगमों में चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशकों के पदों पर विशेषज्ञ अभियन्ताओं को तैनात किया जाना चाहिए।

अभियन्ताओं ने यह मांग भारत रत्न एम.विश्वेश्वरैया के 164वें जन्म दिवस पर उ.प्र.रा.विद्युत परिषद अभियन्ता संघ द्वारा हाईडिल फील्ड हॉस्टल में आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में की।
अभियन्ता दिवस समारोह में अभियन्ताओं के सराहनीय कार्यों पर प्रकाश डालते हुए विद्युत अभियन्ता संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने बताया कि देश में सबसे पहले 400के.वी. पारेषण लाइन व उपकेन्द्र की परिकल्पना. निर्माण व संचालन का कार्य. 100 मेगावाट एवं 200 मेगावाट की तापीय इकाईयाँ डिजाइन करने व सफलतापूर्वक संचालित करने वाला अग्रणी उ.प्र. बिजली बोर्ड ही है।वर्तमान में प्रदेश में बिजली के 09 निगम हैं तथा इन सभी निगमों के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक आईएएस हैं। कई विकसित देशों में तकनीकी विभागों का नेतृत्व उन्हीं तकनीकी विशेषज्ञों को दिया जाता है जिन्होंने उस क्षेत्र में कार्य किया हो।

देश की नवरत्न एवं महानवरत्न कंपनियों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कामयाब प्रतिद्वंदिता का सबसे बड़ा राज यही है कि इन सब में प्रबंध के शीर्ष पद पर विशेषज्ञ हैं। बिजली कर्मी सीमित संसाधनों के बावजूद उत्तर प्रदेश के 3 करोड़ 63 लाख उपभोक्ताओं तक निर्बाध बिजली आपूर्ति का कार्य कर रहे हैं।

विगत 08 वर्षों में एटी एण्ड सी हानियां 42 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत पर आ गयी हैं जो राष्ट्रीय मापदण्ड है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि प्रदेश की जनता को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के संकल्प को पूरा करने के लिए अनपरा व ओबरा में प्रस्तावित 800 मेगावाट की परियोजना को प्रदेश के ही उत्कृष्ट अभियन्ताओं द्वारा राज्य विद्युत उत्पादन निगम के पूर्ण स्वामित्व में स्थापित की जाये।

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