Mirzapur : राष्ट्रव्यापी ज्ञापन कार्यक्रम में कलेक्ट्रेट पर उमड़ा बेसिक शिक्षकों का हुजूम

  • आरटीई एक्ट मे संशोधन कर वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षको को टीईटी मुक्त रखने की की मांग
  • प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा

Mirzapur : राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश (प्राथमिक संवर्ग) के मीरजापुर जिला इकाई के तत्वावधान मे सोमवार, 15 सितम्बर 2025 को कलेक्ट्रेट पर शिक्षको का हुजूम उमर पडा। जिले के सभी ब्लाक और नगर निकाय से आये विशाल शिक्षक समूह ने जिलाध्यक्ष राजनाथ तिवारी के नेतृत्व मे जोरदार प्रदर्शन कर भारत सराकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित ज्ञापन अपर जिलाधिकारी डीपी सिंह को सौंपकर वर्ष 2010 के पूर्व नियुक्त बेसिक शिक्षको पर टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम मे संशोधन की मांग की।

जिलाध्यक्ष राजनाथ तिवारी ने कहाकि 1 सितम्बर 2025 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय पर प्रधानमंत्री जी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। कहा कि भारत के सभी प्रदेश के सभी जनपदो मे एक साथ जिलाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर टीईटी समस्या समाधान का आग्रह किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी को इस जवलंत समस्या के समाधान के लिए शीघ्रातिशीघ्र विचार एवं आरटीई मे संशोधन की जरूरत है।

जिला महामंत्री सत्यव्रत सिंह चंदेल ने कहाकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार कक्षा आठ तक पढ़ाने वाले सभी सेवारत शिक्षकों पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य कर दी गई है, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि कुछ भी रही हो। यह स्थिति देशभर के लाखों शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल सकती है। हमारे शिक्षक बंधु टीईटी के सदमे मे आकर आत्महत्या तक कर ले रहे है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार कर त्वरित निदान करना होगा।

जिला महामंत्री ने बताया कि आरटीई अधिनियम 2009 एवं एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 के अनुसार दो अलग-अलग श्रेणियाँ मान्य थीं—2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षक, जिन्हें योग्य माना गया और जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी, तथा 2010 के बाद नियुक्त शिक्षक, जिन्हें एक निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना आवश्यक था। न्यायालय के इस निर्णय ने इस भेद को अनदेखा कर दिया है, जिससे 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है।

जिला कोषाध्यक्ष मनोज कुमार शुक्ला ने कहाकि विगत कई वर्षों से शिक्षा व्यवस्था को संभाल रहे अनुभवी शिक्षकों पर अचानक टीईटी की अनिवार्यता थोपना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह शिक्षा की निरंतरता को भी बाधित करेगा। सरकार को तत्काल हस्तक्षेप कर इसे केवल भविष्य की नियुक्तियों पर लागू करना चाहिए।

जिला मीडिया प्रभारी विमलेश कुमार अग्रहरि ने कहा कि इस निर्णय से 20 लाख से अधिक शिक्षक प्रभावित होंगे। जिन्होंने वैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत नियुक्ति प्राप्त की थी, उनकी सेवा अब असुरक्षित हो गई है। यह स्थिति शिक्षकों के मनोबल को तोड़ेगी और शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। इसलिए प्रभावित शिक्षको को टीईटी से मुक्त रखना नितांत आवश्यक है।

जिला उपाध्यक्ष अनिल प्रकाश द्विवेदी ने कहाकि प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि यह निर्णय केवल भविष्यलक्षी रूप से लागू हो, 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की सेवा सुरक्षा व गरिमा की रक्षा की जाए और आवश्यक नीतिगत या विधायी उपाय कर लाखों शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित बनाया जाए।
विशाल प्रदर्शन एवं ज्ञापन कार्यक्रम मे जिला संरक्षक शिवाकान्त दीक्षित, वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष वीरभानु सिंह, जिला संगठन मंत्री अनिल कुमार त्रिपाठी, संयुक्त महामंत्री राजदेव सिंह, उपाध्यक्ष अनिल प्रकाश द्विवेदी, महिला विंग जिला अध्यक्ष गीता सिंह, उपाध्यक्ष आलोक कुमार सिंह, महिला उपाध्यक्ष गीता सिंह, मंत्री शुभ्रांशु उपाध्याय एवं राकेश कुमार मौर्य, संयुक्त मंत्री रजनीश दूबे, मुकेश सिंह, प्रचार मंत्री मनोज त्रिपाठी, मीडिया प्रभारी विमलेश अग्रहरी, सह मिडिया प्रभारी त्रिलोकी सिंह सहित ब्लाक अध्यक्ष गण क्रमश: नगर अध्यक्ष सत्य प्रकाश दूबे, नगर ब्लाक अध्यक्ष राघवेन्द्र कुंवर शुक्ल, पहाडी अभिषेक उपाध्याय, मडिहान अजय कुमार सिंह, लालगंज प्रदीप तिवारी, जमालपुर सूर्यकेश आनंद, नरायनपुर जितेंद्र कुमार सिंह, हलिया मंजीत त्रिपाठी, छानबे गणेश ओझा, सीखड सुरजीत सिंह, राजगढ अशोक कुमार सिंह और कोन के सर्वेश त्रिपाठी सहित शिक्षको का विशाल जनसमूह उपस्थित रहा।

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