
- वक्फ की जमीन पर कब्जा कराने के लिए धमकाने का आरोपी है
- पिंटू सेंगर हत्याकांड में दीनू और अरिदमन का नाम निकाला था
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। आखिरकार खाकी वर्दी को दागदार करने वालों पर सख्त कार्रवाई शुरू हो गई है। अखिलेश दुबे के शागिर्द इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया है। आधी रात को मेडिकल कराने के बाद सुबह-सुबह जेल भेजने की तैयारी है। पुलिस पूछताछ में सभाजीत ने कानपुर में बीते साल फऱवरी तक तैनात रहे एक आईपीएस का नाम लेते हुए आरोप लगाया है कि, अफसर के दबाव में आगमन गेस्ट हाउस के लिए वक्फ की जमीन खाली कराने के लिए कब्जेदारों को धमकाने जाता था। सभाजीत मिश्रा का नाम पिंटू सेंगर हत्याकांड में दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह का नाम निकालने के कारण भी चर्चा में आया था। बाद में इसी मामले में सभाजीत को निलंबित किया गया था।
ग्वालटोली थाने में अखिलेश दुबे के साथ सह-अभियुक्त है
ग्रीनपार्क के करीब करोड़ों की जमीन को पॉवर ऑफ अर्टानी के जरिए कब्जाने के खेल में लिखी गई एफआईआर में सभाजीत मिश्रा का नाम अखिलेश दुबे का साथ बतौर सह-अभियुक्त दर्ज है। जमीन के खेल में अखिलेश और सभाजीत के साथ अखिलेश के छोटे भाई सर्वेश दुबे, भतीजी सौम्या दुबे, जयप्रकाश दुबे और राजकुमार शुक्ला भी आरोपी हैं। इस मामले में अखिलेश दुबे की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि अन्य आरोपी अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाकर भूमिगत हैं। सभाजीत मिश्रा को मई 2025 में अन्य मामले में निलंबित किया गया है, लेकिन उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया।
एसआईटी ने दोपहर में बुलाया, देर शाम गिरफ्तारी
आगमन गेस्टहाउस मामले में पूछताछ के लिए एसआईटी ने सभाजीत मिश्रा को ग्वालटोली थाने में दोपहर में बुला लिया था।एसआईटी के सदस्य कर्नलगंज एसीपी अमित चौरसिया ने मामले से संबंधित तमाम सवाल-जवाब किये। सूत्रों के मुताबिक, पहले सभाजीत ने अफसर को गुमराह करने का तमाम प्रयास किया, लेकिन सवालो के भंवर में फंसकर टूट गया और गुनाह कबूल कर लिया। इसके बाद देर शाम पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार को तथ्यों से अवगत कराया गया। उन्होंने दोषी के खिलाफ बगैर भेदभाव सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया तो रात 9.30 बजे सभाजीत को गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रतिनियुक्ति पर आए अफसर पर उछाला कीचड़
सभाजीत की गिरफ्तारी का ऐलान हुआ तो वह काबू से बाहर हो गया। मौके पर मौजूद पुलिस सूत्रों ने बताया कि, कानपुर में फऱवरी 2024 तक तैनात रहे आईपीएस का नाम लेकर चिल्लाने लगा कि, अकेले उसे सजा क्यों। सभाजीत ने आरोप लगाया कि, अखिलेश दुबे के करीबी प्रतिनियुक्ति पर आए ब्राह्मण आईपीएस अफसर के दबाव में वह बरसों पुराने कब्जेदारों को धमकाने जाता था। सभाजीत ने कहाकि, पिंटू सेंगर हत्याकांड में दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह का नाम भी तत्कालीन एसपी-सिटी और कप्तान के कहने पर निकाला था, लेकिन दोबारा विवेचना में सिर्फ उसे दोषी बताकर निलंबित कर दिया गया था।
मई में कर्नलगंज थाने से हुआ था निलंबित
गौरतलब है कि, चर्चित बसपा नेता पिंटू सेंगर मर्डर केस की दोबारा समीक्षा के दौरान सामने आया कि तत्कालीन जांच अधिकारी सभाजीत मिश्रा ने दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह के नाम साक्ष्य होने के बावजूद फाइनल रिपोर्ट में हटाया था। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने गंभीर चूक को देखते हुए सभाजीत को मई 2025 को तत्काल निलंबित करते हुए विभागीय जांच का आदेश दिया था। उस वक्त सभाजीत कर्नलगंज थाने में अतिरिक्त निरीक्षक के पद पर तैनात था। गौरतलब है कि, 30 जून 2020 को जाजमऊ में बाइक सवार शूटरों ने पिंटू सेंगर शरीर में 32 गोलियां उतारकर मौत के घाट उतार दिया था। इस मामले में पिंटू के भाई धर्मेंद्र सेंगर ने पप्पू स्मार्ट, सउद अख्तर, महफूज अख्तर, मनोज गुप्ता, दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह समेत कई आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना में वीरेंद्र पाल, तनवीर बादशाह, अयाज टायसन, बब्बू सुल्तानपुरी का नाम सामने आया था।