
अमृतसर/फिरोजपुर : पंजाब में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे उतरने लगा है, लेकिन जैसे-जैसे पानी हट रहा है, तबाही का असली मंजर सामने आ रहा है। प्रभावित गांवों में लोगों के जख्म गहरे हो गए हैं — फसलें नष्ट हो चुकी हैं, घर और कारोबार बर्बाद हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सब कुछ फिर से खड़ा करना होगा और इसके लिए सरकार से त्वरित मदद की जरूरत है।
धान की फसल पूरी तरह बर्बाद
हुसैनीवाला बॉर्डर के आसपास के 17 गांवों से पानी उतर चुका है, लेकिन नुकसान बड़ा है। धान की फसल पूरी तरह खराब हो गई है, कई मकान गिर गए हैं और घरों में दो से तीन फीट तक कीचड़ भर गया है। सड़कें जगह-जगह से टूटी हुई हैं, जिससे कई गांव आपस में कट गए हैं। लोग छतों पर तिरपाल डालकर या सुरक्षित स्थानों पर टेंट लगाकर रहने को मजबूर हैं। बीएसएफ के बंकर भी पानी के बहाव में ध्वस्त हो गए हैं।
गांव की जमीन सतलुज में समाई
टेंडी वाला और कालू वाला गांव में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। करीब 150 एकड़ जमीन सतलुज दरिया में समा गई है और कई घर बह गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते मरम्मत नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में इन गांवों का नामोनिशान भी मिट सकता है।
अजनाला का चमियारी गांव अस्तित्व के संकट में
अमृतसर के ऐतिहासिक चमियारी गांव में रावी नदी की बाढ़ ने गहरी तबाही मचाई। अब पानी उतर चुका है, लेकिन सड़कों पर गहरे गड्ढे और गलियों में घुटनों तक गाद फैली है। गंदगी और सड़ांध से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि दो हफ्तों तक घरों में पानी भरा रहा और हर पल डर था कि छत गिर न जाए। कई घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं और लोग दूसरों के घरों में शरण लिए हुए हैं।
खेती और पशुधन पर भारी असर
किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल नष्ट हो चुकी है। खेतों में रेत और गाद की मोटी परत जम गई है, जिससे जमीन बंजर होने की कगार पर है। अगली फसल बोने के लिए पहले रेत हटानी होगी, जिसमें लाखों का खर्च आएगा। गांव में कई पशु दूषित पानी और चारे की कमी के कारण बीमार हो गए हैं, कई की मौत भी हो चुकी है।
स्वास्थ्य सेवाओं और त्वरित सहायता की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि अब तक कोई मेडिकल टीम गांव में नहीं पहुंची है। लोग बुखार, दस्त और त्वचा रोगों से पीड़ित हैं। तत्काल मेडिकल कैंप, पशुओं के इलाज और साफ-सफाई की जरूरत है। प्रभावित परिवार चाहते हैं कि राज्य और केंद्र सरकार की ओर से घोषित सहायता राशि बिना देरी सीधे उनके खातों में पहुंचे और सड़कों, गलियों व नालियों की मरम्मत तुरंत शुरू हो। साथ ही, किसानों को मुआवजा और खेतों को फिर से उपजाऊ बनाने के लिए विशेष पैकेज दिया जाए।