Moradabad : 11 हजार वोल्ट की लाइन ने छीनी मुस्कान, बिजली कर्मी गंभीर रूप से झुलसा, ग्रामीणों में आक्रोश

Moradabad : मुरादाबाद जिले के गांव बुढ़ानपुर में बुधवार को एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। बिजली विभाग का एक संविदा कर्मचारी, मुजफ्फर पुत्र कलुआ, 11 हजार वोल्ट की हाईटेंशन लाइन पर काम करते समय करंट की चपेट में आ गया।

इस हादसे ने न केवल मुजफ्फर के परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र में बिजली विभाग की लापरवाही को लेकर गुस्सा और आक्रोश फैल गया है। मुजफ्फर की हालत अत्यंत नाजुक बताई जा रही है, और उन्हें तत्काल दिल्ली रेफर किया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।

हादसा उस समय हुआ, जब मुजफ्फर बिना पर्याप्त सुरक्षा उपकरणों के हाईटेंशन लाइन पर काम कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मुजफ्फर को करंट लगने के बाद उनके साथी कर्मचारियों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें नीचे उतारा। स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे के समय न तो मुजफ्फर के पास सेफ्टी बेल्ट थी, न ही हेलमेट या दस्ताने जैसे जरूरी सुरक्षा उपकरण। करंट की तीव्रता इतनी थी कि मुजफ्फर का शरीर बुरी तरह झुलस गया। तत्काल उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां से उनकी गंभीर हालत को देखते हुए दिल्ली रेफर कर दिया गया।

हादसे के बाद बुढ़ानपुर और आसपास के गांवों में बिजली विभाग के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा। ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली विभाग अपने कर्मचारियों को न तो उचित प्रशिक्षण देता है और न ही आवश्यक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराता है। कुछ ग्रामीणों ने इसे “सोची-समझी साजिश” तक करार दिया, उनका कहना है कि सिट-डाउन (लाइन बंद करने की प्रक्रिया) के बाद भी लाइन में करंट छोड़ा गया, जिसके कारण यह हादसा हुआ।

स्थानीय निवासी रामपाल ने गुस्से में कहा, “बिजली विभाग की लापरवाही ने एक गरीब कर्मचारी की जिंदगी खतरे में डाल दी। न सुरक्षा उपकरण, न सही प्रशिक्षण, फिर कैसे काम करें ये लोग? हर बार हादसा होता है, अधिकारी जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।”

हादसे के बाद भगतपुर और आसपास के क्षेत्रों में बिजली विभाग के खिलाफ आक्रोश चरम पर है। ग्रामीणों ने एकजुट होकर आज अलीगंज बिजलीघर का घेराव करने की योजना बनाई है। उनका कहना है कि जब तक विभाग उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देता, वे चुप नहीं बैठेंगे। ग्रामीणों की प्रमुख मांगें हैं:

  1. तत्काल सुरक्षा उपकरण: सभी कर्मचारियों को सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, दस्ताने और अन्य जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।
  2. जवाबदेही तय हो: हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
  3. उचित प्रशिक्षण: संविदा और नियमित कर्मचारियों को हाईटेंशन लाइन पर काम करने से पहले अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाए।
  4. मुआवजा और इलाज: मुजफ्फर के परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता और उनके इलाज का पूरा खर्च विभाग द्वारा किया जाए।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे सड़क जाम और धरना-प्रदर्शन जैसे कदम उठाने से नहीं हिचकेंगे।

हादसे की सूचना मिलते ही बिजली विभाग के अधिकारी हरकत में आए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। यदि कोई लापरवाही पाई गई, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे बयान हर हादसे के बाद दिए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस बदलाव नहीं होता।

मुरादाबाद और आसपास के क्षेत्रों में बिजली से संबंधित हादसों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं, तो इस तरह की घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है। इसके बावजूद, बिजली विभाग की कार्यशैली और लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं।

एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता, अफजल हुसैन, ने कहा, “यह पहला हादसा नहीं है। हर साल कर्मचारी और आम लोग बिजली विभाग की लापरवाही का शिकार हो रहे हैं। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो और जिंदगियां खतरे में पड़ेंगी।”

मुजफ्फर की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है, और उनका परिवार सदमे में है। गांव के लोग उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं, लेकिन साथ ही वे बिजली विभाग की जवाबदेही की मांग को लेकर एकजुट हैं। यह हादसा न केवल एक कर्मचारी की जिंदगी से जुड़ा है, बल्कि यह बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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