नेपाल में अंतरिम सरकार की प्रमुख हो सकती हैं पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की

काठमांडू, नेपाल। नेपाल में सोशल मीडिया पर सरकार के प्रतिबंध लगाने के खिलाफ हुए बवाल और खूनखराबा के बीच प्रधानमंत्री केपी ओली (खड्ग प्रसाद ओली) शर्मा इस्तीफा दे चुके हैं। इसके बाद उनके किसी स्थान पर चले जाने से आई राजनीतिक शून्यता को भरने की कवायद तेज हो गई है। आंदोलन का नेतृत्व करने वाले ‘जेन जी’ समूह में शामिल युवाओं ने कई नामों पर विचार किया है।

नेताओं के भ्रष्टाचार और राजनीति में फैले भाई-भतीजावाद से आजिज गोरखाओं के धैर्य का बांध एक तरह से टूट चुका है। जन विद्रोह की लपटों में अठतालीस घंटे से अधिक झुलसे हिमालयी देश में फैली अराजकता को रोकने के लिए नेपाली सेना को मंगलवार शाम कमान संभालनी पड़ी। पटरी पर लौट रहे देश को संभालने के लिए फिलहाल अंतरिम सरकार के चयन पर विचार-विमर्श हो रहा है । अंतरिम सरकार की प्रमुख उच्चतम न्यायालय की पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की हो सकती हैं। उनके नाम पर सहमति बनती दिख रही है।

‘जेन जी’ समूह के अधिकांश प्रतिनिधियों ने सैन्य अधिकारियों से देश की पूर्व प्रधान न्यायाधीश कार्की के नाम पर सहमति जताई। इस बीच काठमांडू के महापौर बालेंद्र शाह का नाम भी उछला। मगर शाह पीछे हट गए। उन्होंने सुशीला कार्की का समर्थन किया। कुछ ने पूर्व मंत्री सुमना श्रेष्ठ का नाम भी आगे बढ़ाया पर उन्होंने कहा, वह फिलहाल जहां हैं, ठीक हैं।

इस पद के लिए कुलमन घीसिंग भी कुछ आंदोलनकारियों की पसंद बनकर उभरे हैं। घीसिंग बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं। मगर सुशीला कार्की के नाम पर लगभग आंदोलनकारी नेता सहमत हैं। बुधवार देररात तक अंतरिम प्रमुख के नाम पर माथापच्ची जारी रही। नेपाल के तीन समाचार पत्रों नेपाली टाइम्स, द राइजिंग नेपाल और द हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट्स में भी इसकी पुष्टि की गई है।

भारत के बीएचयू की पूर्व छात्रा हैं न्यायविद सुशीला कार्की

सुशीला कार्की ने 1972 में महेन्द्र मोरंग कैंपस बिराटनगर से बीए करने के बाद भारत के प्रमुख विश्वविद्यालय बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) का रुख किया। 1975 में उन्होंने बीएचयू वाराणसी से राजनीति शास्त्र से एमए किया। इसके बाद, 1978 में उन्होंने त्रिभुवन यूनिवर्सिटी नेपाल से कानून की पढ़ाई की। बनारस में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने दुर्गा प्रसाद सुबेदी से शादी की। दुर्गा प्रसाद सुबेदी उस समय नेपाली कांग्रेस के लोकप्रिय युवा नेता थे।

इस समय विडंबना यह है कि ओली के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पिछले 24 घंटे या उससे अधिक समय से नेपाली सरकार विहीन है।

सेना मुख्यालय में आज भी होगा विचार-विमर्श

प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों ने काठमांडू स्थित सेना मुख्यालय में सैन्य अधिकारियों से मुलाकात कर अंतरिम सरकार के संभावित नेता के नाम पर चर्चा की। प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधि रेहान राज दंगल ने कहा कि उनके समूह ने सैन्य नेताओं के सामने प्रस्ताव रखा है कि कार्की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करें। कार्की उच्चतम न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवा करने वाली एकमात्र महिला हैं। उन्होंने 2016-2017 के बीच इस पद पर कार्य किया और एक लोकप्रिय रहीं। हालांकि, सेना मुख्यालय के बाहर एकत्र भीड़ में से अन्य प्रदर्शनकारियों ने कार्की के चयन का विरोध किया। सैन्य अधिकारियों ने विरोध करने वालों को गुरुवार को बातचीत के लिए बुलाया है।

सेना प्रमुख मिल रहे युवा नेताओं से

‘जेन जी’ समूह के हजारों युवाओं ने बुधवार को डिस्कॉर्ड पर घंटों ऑनलाइन चर्चा की और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए समर्थन दिया। इस समूह ने सेना प्रमुख अशोकराज सिगडेल को अपनी पसंद के बारे में सूचित किया, लेकिन वे कम से कम 12 अन्य समूहों के नेताओं से भी मिल रहे हैं जो खुद को असली जेन जी होने का दावा कर रहे हैं। इनमें राजभक्त और अन्य समूह भी शामिल हैं। इससे पहले मंगलवार को हिंसा की लपटों में सिंह दरबार, संसद और सर्वोच्च न्यायालय की इमारतें जलकर खाक हो गईं और देश भर में पार्टी कार्यालयों, मीडिया, स्कूलों और निजी आवासों पर हमले हुए। मूल जेन जी समूह ने इसमें अपनी संलिप्तता से इनकार किया।

इस बीच, युवा आरएसपी अध्यक्ष रबी लामिछाने को नेतृत्व सौंपने के विचार को बड़े पैमाने पर खारिज करते दिख रहे हैं। उन्हें सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं के धन के गबन के आरोप में आठ महीने की कैद के बाद मंगलवार को समर्थक नखू जेल से वापस लाए हैं।

जेलों में झड़प, पांच किशोर बंदियों की मौत, लगभग 7000 कैदी भागे

सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान देशभर की विभिन्न जेलों से 7000 से अधिक कैदी फरार हो गए हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कैदियों ने विरोध प्रदर्शनों का फायदा उठाया और भागने की कोशिश की। इस वजह से कई जेलों में झड़पें हुईं। गृह मंत्रालय के सूत्रों का हवाले से रिपोर्ट में बताया गया कि कैदियों के भागने की खबरें कई जगहों से आई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांके के बैजनाथ ग्रामीण नगर पालिका-3 स्थित नौबस्ता क्षेत्रीय जेल के नौबस्ता सुधार गृह में मंगलवार रात सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई झड़प में पांच किशोर कैदियों की मौत हो गई, चार अन्य घायल हो गए।

घटना के दौरान जेल के 585 कैदियों में से 149 और किशोर गृह के 176 बंदियों में से 76 भाग गए। गृह मंत्रालय के सूत्रों का हवाले से रिपोर्ट में बताया गया कि कैदियों के भागने की खबरें कई जगहों से आईं, जिनमें दिल्लीबाजार जेल (1,100), चितवन (700), नक्खू (1,200), सुनसरी के झुम्पका (1,575), कंचनपुर (450), कैलाली (612), जलेश्वर (576), कास्की (773), डांग (124), जुमला (36), सोलुखुम्बु (86), गौर (260) और बजहांग (65) शामिल हैं। दक्षिणी नेपाल के बागमती प्रांत के सिंधुलीगढ़ी में जिला जेल से 43 महिलाओं सहित सभी 471 कैदी भाग गए। कैदियों ने बुधवार सुबह जेल के अंदर आग लगा दी और भागने के लिए मुख्य द्वार तोड़ दिया।

काठमांडू पोस्ट के अनुसार, दक्षिणी नेपाल के नवलपरासी पश्चिम जिला कारागार से 500 से ज्यादा कैदी फरार हो गए। एक अन्य घटना में पश्चिमी नेपाल के पहाड़ी इलाके में स्थित जुमला जिले के चंदनाथ नगर पालिका-6 की एक जेल से कम से कम 36 कैदी भाग गए। पुलिस के अनुसार, यह घटना बुधवार रात 12:02 बजे हुई। कैदियों ने कथित तौर पर जेल वार्डन पर लकड़ी की छड़ी से हमला किया और भागने के लिए मुख्य द्वार तोड़ दिया।

उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक मामलों की सुनवाई स्थगित की

देश के उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी है। मुख्य रजिस्ट्रार बिमल पौडेल ने बुधवार को जारी एक नोटिस में कहा कि जिन मामलों की सुनवाई चल रही है, उन्हें अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है। नोटिस में कहा गया है, “नौ सितंबर को प्रदर्शनकारियों के आग लगाने के बाद मामलों की फाइलें और सर्वर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और गुरुवार से निर्धारित मामलों की सुनवाई अगले आदेश तक स्थगित की जाती है।” उच्चतम न्यायालय ने इसके कारण आम लोगों को हुई असुविधा पर भी दुख व्यक्त किया।

आज शाम तक निषेधाज्ञा, कल रात्रिकालीन कर्फ्यू

नेपाली सेना ने काठमांडू घाटी में निषेधाज्ञा और कर्फ्यू पर अपडेट जारी किया है। इसमें प्रतिबंधों को बढ़ाया गया है जबकि जनता की आवाजाही के लिए सीमित छूट दी गई है। आधिकारिक सूचना के अनुसार, निषेधाज्ञा गुरुवार सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक प्रभावी रहेगी। इसके बाद शुक्रवार शाम 7:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक रात्रि कर्फ्यू रहेगा। 11 सितंबर को सुबह 6:00 बजे से 10:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक आवाजाही की अनुमति होगी। प्रतिबंध के दौरान एम्बुलेंस, दमकल गाड़ियां, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए वाहन, सुरक्षाकर्मी, मीडिया और भोजन, ईंधन, सब्जियां, दूध, पानी और दवाओं के परिवहन जैसी आवश्यक सेवाओं की अनुमति होगी। सरकारी कार्यालयों, बैंकों और सार्वजनिक संस्थानों के कर्मचारियों को पहचान पत्र दिखाने पर आवागमन की अनुमति होगी। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन यात्री अपनी उड़ान टिकट दिखाकर यात्रा कर सकते हैं।

त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा खचाखच

त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (टीआईए) के महाप्रबंधक हंसराज पांडे ने बताया कि टीआईए सुरक्षा समिति की बैठक में बुधवार शाम से बंद हवाई अड्डे को फिर से खोलने के निर्णय के बाद विदेश जाने वाले यात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “प्रदर्शन के कारण हवाई अड्डा मंगलवार दोपहर 3:30 बजे से बंद था। ” उन्होंने यात्रियों से अपील की है कि वे केवल उस एजेंसी से संपर्क करके ही हवाई अड्डे पर आएं जहां से उन्होंने टिकट खरीदा था या संबंधित एयरलाइन कंपनी से संपर्क करें।

स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय ने बुधवार शाम बताया कि हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,000 से अधिक घायल हुए लोगों को विभिन्न अस्पतालों में इलाज मुहैया कराया गया है। मंत्रालय के सचिव डॉ. विकास देवकोटा ने बताया कि देश भर के 29 अस्पतालों में 30 मौतें हुई हैं और 1,061 लोगों का इलाज चल रहा है। सिविल सर्विस अस्पताल में छह, नेशनल ट्रॉमा सेंटर में आठ, एवरेस्ट अस्पताल में तीन, काठमांडू मेडिकल कॉलेज, सिनामंगल में दो, त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग अस्पताल में एक, फ्रंटलाइन अस्पताल में तीन, धरान स्थित बीपी कोइराला इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज में दो और भेरी अस्पताल में पांच लोगों की मौत हुई है।

तीस की मौत, 1000 से ज्यादा घायल

‘नेपाल के 2015 के संविधान में राजनीतिक और संवैधानिक शून्यता की स्थिति को दूर करने के लिए किसी भी संक्रमणकालीन या आपातकालीन प्रावधान की परिकल्पना नहीं की गई है। फिलहाल, राष्ट्रपति, संविधान के अनुच्छेद 273 के अनुसार, वर्तमान स्थिति के मद्देनजर आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं,’ पूर्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयुक्त मोहना अंसारी ने बुधवार शाम सोशल मीडिया पर लिखा। मोहना अंसारी के अनुसार, राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 273 के अनुसार आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए एक महीने के भीतर संसद के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदन प्राप्त करना होगा, जिसके बाद यह तीन महीने तक प्रभावी रहेगा।

उन्होंने कहा कि ‘पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की देश में व्याप्त प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं। अंसारी ने कहा, ‘राष्ट्रपति को संविधान का ध्यान रखना चाहिए और अगले कदम पारदर्शी तरीके से उठाने चाहिए।

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