
Bhanpur, Basti : गैर इरादतन हत्या (धारा 304 आईपीसी) के मामले में आरोपी पवन निषाद उर्फ पिंटू निषाद और चार अन्य की अपील को माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। अदालत ने निचली अदालत के आरोप बदलने के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार किया।
मामला अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 14(ए)(2) के अंतर्गत विशेष न्यायाधीश, बस्ती द्वारा पारित आदेश से जुड़ा था। विशेष न्यायाधीश ने 24 सितंबर 2024 को दायर प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए आरोपों को धारा 147, 323, 504 आईपीसी और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(da)(dha) से बदलकर धारा 304 आईपीसी और धारा 3(2)(v) एससी/एसटी एक्ट कर दिया था।
अपीलकर्ताओं का पक्ष
अपीलकर्ताओं का कहना था कि ट्रायल कोर्ट ने बिना साक्ष्यों पर विचार किए आरोप बदल दिए। एफआईआर और गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं, ऐसे में आरोप बदलना अभियोजन पक्ष की कमी को पूरा करने जैसा है।
प्रतिवादियों का पक्ष
वहीं राज्य पक्ष और शिकायतकर्ता के अधिवक्ता विकास चौहान ने दलील दी कि धारा 216 Cr.P.C. के तहत अदालत को निर्णय से पहले आरोप बदलने का पूरा अधिकार है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि मृत्यु गंभीर अंदरूनी चोट और रक्तस्राव से हुई। मृतक अनुसूचित जाति का था, इसलिए धारा 3(2)(v) स्वतः लागू होती है।
न्यायालय का निर्णय
हाईकोर्ट ने माना कि प्रथम दृष्टया घटना साधारण चोट का मामला नहीं है, बल्कि गैर इरादतन हत्या का मामला है। साथ ही धारा 216 Cr.P.C. का दायरा व्यापक है और अदालत आरोप बदल सकती है, बशर्ते अभियुक्त को बचाव का अवसर मिले। निचली अदालत ने उचित कारणों से आरोप बदले हैं और अपीलकर्ताओं को गवाहों से जिरह व बचाव का अवसर मिलेगा।
अदालत ने कहा कि अपील निराधार है और इसमें कोई दम नहीं है। परिणामस्वरूप अपील खारिज कर दी गई है।
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