
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जोधपुर ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल की है, जिसे ‘हिंदी मॉडल’ नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य है कि हिंदी मीडियम के छात्र भी अपनी मातृभाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई आसानी से कर सकें। यह पहल IIT जोधपुर के डायरेक्टर डॉ. अविनाश कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में तैयार की गई है।
हिंदी मीडियम के छात्रों को होगा फायदा
IIT में प्रवेश लेने वाले अधिकांश छात्र हिंदी माध्यम से पढ़ाई करके आते हैं। उन्हें अंग्रेजी आधारित शिक्षा प्रणाली में पढ़ाई, नोट्स बनाने और लैब वर्क में कठिनाई होती है। इससे छात्र अक्सर पीछे रह जाते हैं और उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है।
हिंदी मॉडल के तहत फर्स्ट ईयर के छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई उनकी मातृभाषा में कराई जाती है, ताकि भाषा अब बाधा न बने बल्कि सहयोगी माध्यम बन सके।
अंग्रेजी पर भी जोर
इस पहल में छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पढ़ाई कराई जाती है। साथ ही, अंग्रेजी भाषा में दक्षता बढ़ाने के लिए एक्स्ट्रा क्लासेज भी चल रही हैं। इस कार्यक्रम की शुरुआत एक साल पहले हुई थी और इसके पॉजिटिव रिजल्ट सामने आए हैं।
देशभर में लागू होगी योजना
IIT जोधपुर में हिंदी मॉडल की सफलता के बाद इसे देशभर के 23 IITs में लागू करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत छात्रों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाएगा:
- बंगाल: बांग्ला में
- कर्नाटक: कन्नड़ में
- तमिलनाडु: तमिल में
- राजस्थान: हिंदी में
- महाराष्ट्र: मराठी में
राजस्थान में इस मॉडल के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। इससे भाषा की बाधा दूर होगी और छात्र आत्मनिर्भर होकर उच्च शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।
गुरु की भूमिका को प्राथमिकता
डॉ. अग्रवाल के अनुसार, शिक्षा की गुणवत्ता सीधे शिक्षक की दक्षता से जुड़ी होती है। इसी दृष्टिकोण से IIT जोधपुर ने एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है:
- 12वीं पास छात्रों को चयनित कर चार वर्षीय BSc-BEd कोर्स कराया जाएगा।
- प्रशिक्षित गुरु 8वीं से 12वीं तक के छात्रों को बेहतर शैक्षणिक सहयोग देंगे।
- इसका लक्ष्य ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाना है।
इस पहल से भाषा की बाधा दूर होगी और छात्रों को बेहतर शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।