
डॉ. विकास गुप्ता, सीईओ और निवेश रणनीतिकार, ओम्निसाइंस कैपिटल
वैश्विक सुर्ख़ियाँ निवेशकों का ध्यान लगातार अपनी ओर खींच रही हैं — चाहे वह अमेरिका की ब्याज दरें हों, कच्चे तेल की क़ीमतें हों या फिर चीन की आर्थिक सुस्ती। लेकिन भारत के भीतर एक बेहद महत्वपूर्ण बदलाव चुपचाप आकार ले रहा है। जीएसटी 2.0 अगले उपभोग चक्र का वह अनदेखा और कम आंका गया मांग-प्रेरक साबित हो सकता है, जिसका प्रभाव घरेलू बजट, ग्रामीण मांग और कॉरपोरेट की टॉपलाइन पर बाज़ार ने अभी पूरी तरह नहीं आँका है।
जीएसटी काउंसिल के हालिया सुधार 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा नीतिगत कदम हैं। अनुपालन और सरलीकरण से आगे बढ़कर, ये कटौतियाँ सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं कि करोड़ों भारतीय किस तरह ख़र्च करते हैं, बचत करते हैं और अपने सपनों को आकार देते हैं — रसोई की ज़रूरतों से लेकर कक्षा की किताबों तक, और ग्रामीण खेतों से लेकर शहरी उपभोग तक।
हर रसोई के लिए तत्काल राहत
मध्यमवर्गीय और ग्रामीण परिवारों को सबसे त्वरित असर दिखाई देता है। शैम्पू, टूथपेस्ट, घी और डेयरी उत्पाद जैसी रोज़मर्रा की आवश्यक वस्तुओं पर अब केवल 5% जीएसटी है, जबकि पहले यह 12–18% था। एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार, जो हर महीने ₹15,000 आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करता है, अब ₹1,200–1,500 तक बचा सकता है। निम्न-आय वाले परिवारों को भी ₹300–500 की राहत मिल सकती है—इतनी राशि जिससे बच्चों की शिक्षा या स्वास्थ्य देखभाल की अहम जरूरतें पूरी हो सकती हैं। स्कूली सामान पर शून्य कर लगने से माता-पिता पर आर्थिक बोझ और कम होगा।
कृषि और ग्रामीण पुनरुत्थान
कृषि क्षेत्र को मिला लाभ सबसे व्यापक है। ट्रैक्टर, सिंचाई प्रणाली और कृषि मशीनरी पर केवल 5% जीएसटी से खेती की लागत घट गई है। भारत की आधी से अधिक कार्यबल खेती पर निर्भर है, इसलिए इन बचतों का असर पूरे ग्रामीण अर्थतंत्र पर पड़ता है।
उपभोक्ता आकांक्षाओं को बल
उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं और ऑटोमोबाइल पर कर 28% से घटकर 18% हुआ है। उदाहरण के लिए, ₹40,000 का उपकरण अब ₹4,000 सस्ता मिलेगा—यह अंतर खरीदारी टालने और तुरंत करने के बीच निर्णायक हो सकता है। छोटी कारें, मोटरसाइकिलें और परिवहन वाहन भी इससे लाभान्वित होंगे।
स्वास्थ्य, शिक्षा और सशक्तिकरण
स्वास्थ्य व जीवन बीमा को जीएसटी से मुक्त करना और डायग्नोस्टिक किट व शैक्षिक सामग्री पर कर में कटौती ने आवश्यक सेवाओं की पहुंच बढ़ा दी है। व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों और शिशु वस्तुओं पर कम कर महिलाओं के लिए राहतकारी है, जबकि एमएसएमई को कम अनुपालन और सस्ती इनपुट लागत से मजबूती मिलेगी।
व्यापक आर्थिक प्रभाव
आवश्यक वस्तुओं की कीमतें घटने से मुद्रास्फीति दबाव कम होगा, जिससे भारतीय रिज़र्व बैंक को मौद्रिक नीति में लचीलापन मिलेगा। हालांकि, अल्पावधि में जीएसटी संग्रह घट सकता है, जिसे सरकार को बढ़े हुए उपभोग और व्यापक कर आधार से संतुलित करना होगा। निवेशकों के लिए एफएमसीजी, टिकाऊ वस्तुएं, ऑटोमोबाइल, स्वास्थ्य और बीमा क्षेत्रों में अवसर उभरते हैं, लेकिन मौजूदा ऊँचे मूल्यांकन सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।
आगे की राह
इस सुधार की सफलता प्रभावी कार्यान्वयन पर निर्भर करेगी—रिटेलर्स को बचत उपभोक्ताओं तक पहुंचानी होगी, आपूर्ति बाधाओं का समाधान करना होगा और राज्यों को राजस्व घाटे के लिए सहयोग चाहिए। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक्स आयात बढ़ने और मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति जैसी चुनौतियों से निपटना होगा।
भारत की उपभोग-नेतृत्व विकास यात्रा
28 वर्ष की औसत आयु के साथ, भारत उपभोग के चरम चरण में प्रवेश कर चुका है। आयकर सीमा में वृद्धि और जीएसटी कटौती मिलकर उपभोक्ताओं की जेब में अधिक धन छोड़ते हैं। यह सुधार न केवल ग्रामीण सशक्तिकरण और मानव पूंजी विकास को गति देता है, बल्कि भारत की उपभोग-आधारित वृद्धि मॉडल को भी मजबूत करता है।
रसोई से जहाँ परिवार का बजट बनता है, से लेकर कक्षाओं तक जहाँ सपनों का पोषण होता है—जीएसटी युक्तिकरण भारत के संघर्षों को उसकी आकांक्षाओं से जोड़ता है और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ बन सकता है।
लेखक डॉ. विकास वी. गुप्ता, ओम्निसाइंस कैपिटल के सीईओ और मुख्य निवेश रणनीतिकार हैं। ओम्निसाइंस कैपिटल एक वैश्विक निवेश प्रबंधन फर्म है, जो अपनी स्वामित्व वैज्ञानिक निवेश (Scientific Investment Approach) दर्शन के आधार पर भारतीय और वैश्विक इक्विटी निवेश पर केंद्रित है। डॉ. गुप्ता ने आईआईटी बॉम्बे से बी.टेक और कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। वे पूर्व वैज्ञानिक और प्रोफेसर रहे हैं तथा पूंजी बाजार में दो दशकों से अधिक का समृद्ध अनुभव रखते हैं। उनके लेख और विचार नियमित रूप से प्रमुख वैश्विक वित्तीय प्रकाशनों और मीडिया में प्रकाशित होते हैं।