
प्रयागराज जनपद जमुनापार क्षेत्र के बारा तहसील अंतर्गत गीज गांव में सरकारी ठेके के पास एक मुसहर परिवार शराब पी रहा था। थोड़ी देर बाद वह इतना नशे में हो गया कि ठेके के पास में ही एक पानी भरे गड्ढे में डूब गया और उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
उसके साथ रहे अन्य लोगों को तब पता चला जब 45 वर्षीय लेट्टर उर्फ हरिश्चंद्र बनवासी पूरी तरह से मर चुका था। वह रोज जंगल से छिउल के पत्ते तोड़कर परिवार का भरण पोषण पतरी दोना बेचकर करता था। अब उसकी पत्नी रामकली अकेले रह गई है।
लेकिन इलाके में यह मौत चर्चा का विषय, इसलिए नहीं है कि, कोई नेता नहीं ,कलेक्टर नहीं लेट्टर बनवासी की मौत हुई है। उसके बच्चों को गांव के प्राइमरी पाठशाला में इसलिए शिक्षित नहीं किया जाता कि वे बेढंगे तरीके से रहते हैं। समाज की इसी उपेक्षा, गरीबी, बेबसी, लाचारी के कारण वह समाज की मुख्यधारा से लगातार कटता चला गया।
शराब को उसने अपना दोस्त बना लिया, जो भी कमाता है शराब पीने में परिवार सहित लगा देता है। उसे दिन पहले उसके एक बेटी भी इसी गरीबी और कुपोषण के कारण मर गई। यह तब और तेज हो गया जब गांव-गांव में शराब के ठेके खुला।
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