
पुलिस गोलीबारी में 20 की मौत और 300 से ज्यादा घायल
काठमांडू । नेपाल में सोशल मीडिया बैन ने युवाओं के गुस्से को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया और देखते ही देखते यह आंदोलन का रूप ले लिया। सोमवार को हुए युवाओं के इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने 36 वर्षीय सुदन गुरुंग सामने आए, जिन्होंने भ्रष्टाचार और कुप्रशासन के खिलाफ सुलग रहे आक्रोश को दिशा दी।
दरअसल, नेपाल सरकार ने अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया। फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म से जुड़े युवाओं ने इसे अपनी आज़ादी पर हमला माना और सड़क पर उतर आए। देखते ही देखते काठमांडू समेत कई शहर रणक्षेत्र बन गए। बताया गया कि पुलिस की गोलीबारी में 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए। जानकारी अनुसार इन प्रदर्शनकारियों को संगठित करने में हामी नेपाल नामक संगठन अहम रहा, जिसके संस्थापक और अध्यक्ष हैं सुदन गुरुंग। गुरुंग ने 2015 के नेपाल भूकंप के बाद सामाजिक कार्यों की शुरुआत की थी और 2020 में औपचारिक रूप से हामी नेपाल का रजिस्ट्रेशन कराया। यह संगठन आपदा राहत, मानवीय सहायता और युवाओं की समस्याओं पर काम करता है।
गुरुंग ने इंस्टाग्राम और बाद में डिस्कॉर्ड व वीपीएन जैसे प्लेटफॉर्म्स का सहारा लेकर हजारों छात्रों को जोड़ा। उनका संदेश था, यह हमारा समय है, यह हमारी लड़ाई है, और ये हमसे, हम युवाओं से शुरू होती है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि भ्रष्टाचार और विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के खिलाफ आवाज उठाएं।
एक्टिविस्ट रहे गुरुंग
इवेंट मैनेजमेंट से करियर शुरू करने वाले सुदन गुरुंग की जिंदगी 2015 के भूकंप के बाद बदली। उन्होंने राहत कार्यों के जरिये खुद को एक्टिविज्म में समर्पित किया। आज वही जोशीली अपील उनके नेतृत्व को नई पहचान दे रही है।
सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा, इस्तीफा
फिलहाल हिंसक घटनाओं के बाद नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर से प्रतिबंध हटा लिया है और जांच समिति गठित की है। राजधानी समेत कई शहरों में कर्फ्यू लागू है। इस बीच, घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दे दिया है। नेपाल की सड़कों पर उठी यह जेन-जी की आवाज सुदन गुरुंग को अचानक एक आंदोलनकारी नायक के रूप में सामने ले आई है।