
बिहार में वार्ड सदस्यों की मानदेय राशि बढ़ा दी गई है। पहले इन्हें हर महीने 1,600 रुपये मिलते थे, अब यह बढ़ाकर 2,400 रुपये कर दी गई है। यानी अब वार्ड सदस्यों को 800 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे।
वार्ड सदस्य की भूमिका
वार्ड सदस्य स्थानीय स्तर पर जनता और सरकार के बीच सबसे नजदीकी कड़ी होते हैं। शहर हो या गांव, हर वार्ड का अपना प्रतिनिधि होता है जिसे हम वार्ड सदस्य या वार्ड पार्षद कहते हैं। इनका काम सिर्फ बैठकों तक सीमित नहीं होता, बल्कि वार्ड के हर छोटे-बड़े मसले को उठाना और उसका हल निकलवाना भी इन्हीं की जिम्मेदारी होती है।
क्या करते हैं वार्ड सदस्य?
- जनता की आवाज बनना – सड़क टूटी हो, नाली जाम हो, स्ट्रीट लाइट खराब हो या पानी की समस्या हो, तो इन्हें ही नगर निगम, नगर परिषद या पंचायत तक पहुंचाना।
- विकास कार्यों की निगरानी – वार्ड में होने वाले निर्माण जैसे सड़क, नाली, पार्क आदि का सही समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरा होना सुनिश्चित करना।
- शिकायतों का निस्तारण – आम नागरिकों की समस्याएं सुनना और उन्हें संबंधित विभाग तक ले जाना।
- वार्ड सभा आयोजित करना – समय-समय पर जनता को चल रहे कामों की जानकारी देना।
- नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई की पहल – अवैध निर्माण, कर चोरी या सफाई की अनदेखी जैसी शिकायतों पर ध्यान देना।
- सरकारी योजनाओं की जानकारी देना – केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को पात्र लोगों तक पहुंचाना।
क्यों अहम है इनकी भूमिका?
आपके इलाके में जो भी समस्या होती है, उसका पहला पड़ाव वार्ड सदस्य ही होते हैं। वे न केवल समस्याओं को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि समाधान की प्रक्रिया में भी सक्रिय रहते हैं। स्थानीय शासन की पारदर्शिता और मजबूती काफी हद तक वार्ड सदस्यों की सक्रियता पर टिकी होती है।
संक्षेप में, वार्ड सदस्य ही वो प्रतिनिधि हैं जो आपके घर-गली के मुद्दों को शासन तक पहुंचाकर उसका समाधान करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।