योगी सरकार के तीन साल: भ्रष्ट 700 अफसरों-कर्मचारियों पर गिरी गाज

– 250 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को किया जबरन सेवानिवृत
– 450 से ज्यादा को मिला निलंबन और पदावनति जैसा दंड

लखनऊ । योगी आदित्यनाथ सरकार तीन साल पूरा होने पर जनता के बीच जाकर जहां अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करेगी और उपलब्धियां बतायेगी। भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की कार्यशैली पर नजर डालें तो वह कड़ा सन्देश देने में सफल हुई है। जीरो टालरेंस नीति के तहत जितने बड़े पैमाने पर सरकार ने सख्त कार्रवाई की है, उसके बारे में दूसरी सरकारें सोच तक नहीं सकीं। सरकार अलग-अलग विभागों के 250 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत कर चुकी है। इसके साथ ही सरकार ने 450 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और पदावनति जैसे दंड भी दिए हैं। इस तरह विभिन्न महकमों के 700 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ चाबुक चलाते हुए गाज गिरी है।

ऊर्जा, गृह, राजस्व, लोक निर्माण, वन महकमा कोई कार्रवाई से अछूता नहीं

योगी सरकार ऊर्जा विभाग में 169 अधिकारियों, गृह विभाग के 51 अधिकारियों, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के 37 अधिकारियों, राजस्व विभाग के 36 अधिकारियों, बेसिक शिक्षा के 26 अधिकारियों, पंचायतीराज के 25 अधिकारियों, पीडब्ल्यूडी के 18 अधिकारियों, लेबर डिपार्टमेंट के 16 अधिकारियों, संस्थागत वित्त विभाग के 16 अधिकारियों, कामर्शियल टैक्स के 16 अधिकारियों, इंटरटेनमेंट टैक्स डिपार्टमेंट के 16 अधिकारियों, ग्राम्य विकास के 15 अधिकारियों और वन विभाग के 11 अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुकी है।

सात पीपीएस अधिकारियों को किया अनिवार्य सेवानिवृत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारियों पर भी बड़ी कार्रवाई की थी। इसमें सात पीपीएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत कर दिया गया। इसी तरह ग्राम विकास अधिकारी पद पर नियुक्ति में नियमों की अवहेलना करने वाले जनपद बदायूं, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी एवं कासगंज के तत्कालीन जिला विकास अधिकारियों को निलंबित किया।

घोटाला करने वालों पर भी गिरी गाज

भ्रष्टाचार पर कठोर कार्यवाही जारी रखते हुए मुख्यमंत्री ने 44 करोड़ की गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोपित लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खण्ड बस्ती अधिशाषी अभियंता को बर्खास्त किया। उ.प्र. राज्य पर्यटन विभाग, लखनऊ के पूर्व मुख्य लेखाधिकारी द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर उनके विरुद्ध अभियोग चलाने का निर्देश दिया है।

सीबीआई को भी सौंपी गई जांच

जनपद आगरा के पूर्व तहसीलदार, सदर (संप्रति, उप जिलाधिकारी, सिकंदराबाद, जनपद बुलंदशहर) व आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले बाह, जनपद आगरा) के तत्कालीन निबंधक लिपिक के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए। जिला प्रयागराज की बैंक ऑफ इंडिया, सुलेमसराय, धूमनगंज शाखा के करेंसी चेस्ट में पाए गए 4.25 करोड़ के गबन मामले की विवेचना सीबीआई को स्थानांतरित करने का निर्णय किया गया।

अनुशासनहीनता पड़ी भारी, किये गये बर्खास्त
अनुशासनहीनता के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए बिना सूचना लम्बे समय से अनुपस्थित, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय, इसौली, सुलतानपुर के चिकित्साधिकारी को बर्खास्त करने का आदेश दिया गया। जनपद अमेठी के डीडीओ को मीरजापुर में डीडीओ के पद पर रहते हुए दायित्वों की अनदेखी व नियुक्ति में अनियमितता के कारण सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया गया। इसी तरह दायित्वों का निर्वहन न करने के कारण पीटीएस मेरठ के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं। वहीं अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन न करने पर चित्रकूट के खनन अधिकारी के भी विरुद्ध विभागीय कार्यवाही करने के आदेश दिए गए।

एफआईआर कराने से परहेज नहीं
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के पूर्व कुलपति, कुलसचिव तथा अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोग चलाने की स्वीकृति दी गई। इन पर अनियमितता की धाराओं में अभियोग चलेगा। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि, कुमारगंज, फैजाबाद के पूर्व कुलपति व 3 अन्य के विरुद्ध अभियोग पंजीकरण की स्वीकृति दी गई। अधिशासी अभियंता सिविल, सिंचाई विभाग फैजाबाद एवं तत्कालीन अधीक्षण अभियंता गंडक, बाढ़ मंडल बस्ती के विरुद्ध आपराधिक धाराओं में अभियोग चलाने की स्वीकृति प्रदान की गई। जनपद कानपुर के केस्को मुख्यालय में पदस्थ अधिशासी अभियंता व एक लिपिक के विरुद्ध अभियोग चलाने की स्वीकृति दी गई।

पदावनत के भी उठाये कदम
पूर्व निदेशक पंचायतीराज को पद पर रहते हुए भारत सरकार की गाइडलाइन व शासनादेशों की अनदेखी कर अपात्र ग्राम पंचायतों को परफॉर्मेंस ग्रांट प्रदान करने के प्रकरण में अभियोग पंजीकृत करने के निर्देश दिए गए। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में कार्यरत सहायक निदेशक स्तर के एक अधिकारी को अनुशासनिक जांच में दोषी पाए जाने पर सेवा के मूल पद पर पदावनत करने के निर्देश दिए गए। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति को लेकर एसडीएम फर्रुखाबाद को भ्रष्टाचार में लिप्तता के कारण पद से बर्खास्त किया गया। इन पर वाराणसी में तैनाती के दौरान सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द करने के प्रयास का आरोप था। इसी तरह संभाग मीरजापुर के असिस्टेंट कमिश्नर, वाणिज्य कर को भ्रष्टाचार में लिप्तता के कारण निलंबित किया गया। इन पर कानपुर तैनाती के समय व्यापारी को धमकाने व वसूली का आरोप है।

फर्जीवाड़ा और मानकों की अनदेखी करना पड़ा भारी
जनपद बलिया के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों के डीपीएफ मद की धनराशि से फर्जी शिक्षकों के भुगतान की सतर्कता जांच का अनुमोदन किया गया। मानकों की अनदेखी कर अग्निशमन व्यवस्थाओं की कार्यशीलता प्रमाणित करने के आरोप में मथुरा के मुख्य अग्निशमन अधिकारी व अग्निशमन अधिकारी के विरुद्ध विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही के निर्देश दिए।भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोपों की जांच के बाद आगरा के जिला विकास अधिकारी को निलंबित करने के निर्देश दिए। बदायूं कोषागार में स्टाम्प मैनुअल के अनुपालन न करने एवं कार्य में शिथिलता के आरोप में 13 अधिकारियों को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए गए।

किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता एवं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के मुताबिक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने को लेकर योगी सरकार बेहद गंभीर है और इसी वजह से बड़े पैमाने पर सख्त कदम उठाये गये हैं। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर अपनी जीरो टालरेंस की नीति के तहत लगातार कार्रवाई कर रही है, जो आगे भी जारी रहेगी। यूपी में किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ. चन्द्रमोहन ने कहा कि वास्तव में सरकार ने बीते तीन सालों में जीरो टालरेंस नीति अपनाकर मिसाल पेश की और सख्त सन्देश दिया है कि भ्रष्टाचारी चैन से नहीं बैठ पायेंगे। सरकार के अच्छे कार्यों से जनता के बीच एक सकारात्मक माहौल बना है।

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