बहराइच : अनिवार्य टीईटी की शर्त से फीका पड़ गया शिक्षक दिवस

बहराइच, पयागपुर तहसील : शिक्षण सेवा में बने रहने या प्रोन्नति के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से टीईटी अनिवार्यता के आदेश से शिक्षकों में रोष व्याप्त है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हालिया फैसले में सर्विस में बने रहने और प्रमोशन दोनों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि माइनॉरिटी संस्थानों के लिए फैसला आना अभी बाकी है।

जनपद में शिक्षकों ने इस फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि जिस समय उनकी नियुक्ति हुई थी, उस समय यह अनिवार्यता नहीं थी। अब आधी से अधिक सेवा करने के बाद यह आदेश शिक्षकों के हित में नहीं है। कोर्ट को गुमराह करने का ही परिणाम है जो शिक्षा नीति और नियमावली को दरकिनार कर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसा निर्णय दिया गया। कोई भी नियम पूर्व से कार्यरत नियमित कर्मचारियों पर नहीं थोपा जाना चाहिए। बेसिक शिक्षा विभाग को केवल प्रयोगशाला बना दिया गया है, जबकि इसमें देश का भविष्य पनपता है, न कि परमाणु बम और मिसाइलें। विचार किया जाना चाहिए।

शिक्षकों का कहना है कि यह फैसला न केवल उनके लिए, बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है, जहां पहले से ही शिक्षकों की कमी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री से अनुरोध है कि शिक्षकों के साथ न्याय करें। उनकी घोषणा ही शिक्षकों के लिए सच्चा सम्मान होगी।

जिन शिक्षण विधियों को अपनाकर पुराने शिक्षकों ने विद्यार्थियों को सिविल सेवाओं और न्यायिक पदों तक पहुंचाया, क्या वे सभी निष्प्रभावी हो गईं? माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला विधिसम्मत हो सकता है, किंतु शिक्षकों की परिस्थितियों को देखकर यह विचारणीय भी है। कोर्ट के आदेश को लेकर बड़ा फेरबदल संभव है। यदि सभी समायोजन निरस्त हुए तो वर्तमान शिक्षण सत्र और अध्ययन कार्य प्रभावित होगा।


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