चीन यात्रा से पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को दिया साफ संदेश- ‘अब भारत का दो महाश्क्तियों से हो रहा महामिलन’

India China Relation : भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास साल 1962 में युद्ध के बाद से ही आ गई थी। लेकिन बाद में दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों की शुरुआत हुई। हालांकि मामूली खींचातानी लगातार जारी रही। साल 2017 में डोकलाम में संघर्ष और 2020 में सीमा पर कई झड़पें होने के बाद भारत सरकार ने चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते भी तोड़ लिए थे। वहीं, लंबे समय के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच व्यापार को बड़ा संकेत दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञ पीएम मोदी के चीन के दो दिवसीय दौरे को काफी अहम मान रहे हैं।

ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया चीन यात्रा को केवल औपचारिक शिखर सम्मेलन माना जाना गलत होगा। खासकर, पीएम मोदी ने चीन की यात्रा उस समय की जब भारत-अमेरिका के संबंध डोनाल्ड ट्रंप के लगाए गए टैरिफ के चलते खराब हो गए हैं। इस समय पीएम मोदी ने चीन के त्यान्जिन में आयोजित एससीओ समिट में भाग लेकर रूस और चीन के साथ भारत के रिश्ते मजबूत कर लिए।

यह भी एक सच है कि व्यापार के मामले में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है। लेकिन यह कड़वा सच है कि चीन और भारत के बीच व्यापार असंतुलित ही रहा। वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 127.7 अरब डॉलर पहुंचा, जिसमें भारत का निर्यात केवल 14.25 अरब डॉलर था, जबकि आयात 113.45 अरब डॉलर का रहा। इससे व्यापार घटकर 99 अरब डॉलर से अधिक हो गया, जो अब तक का उच्चतम स्तर है। इनमें भारत ने चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स और ऊर्जा उपकरणों को आयात किया।

वहीं, रूस के साथ भारत के रिश्ते की बात करें तो दोनों देशों के बीच व्यापार अधिक संतुलित है, जो मौजूदा समय में भी जारी है। वर्तमान वित्त वर्ष-2025 में रूस और भारत के बीच व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इनमें खासकर, भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात किया है। इसके साथ ही रूस भारत का रक्षा और अंतरिक्ष सहयोगी भी है।

हालांकि, रूस के साथ व्यापारिक रिश्ते को लेकर भारत को अमेरिका की नाराजगी झेलनी पड़ी। रूस से कच्चे तेल को खरीदने के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया। वो भी तब जब अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका व्यापार 131.8 अरब डॉलर रहा। इस तरह देखा जाए तो भारत का व्यापार चीन से ज्यादा अमेरिका के साथ रहा है। अमेरिका से भारत तकनीकि, सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों में साझेदार है।

अमेरिकी टैरिफ से जूझ रहे भारत दो महाशक्तियों से महामिलन कर रहा है, जो सीधे तौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चीन की यात्रा का कूटनीतिक संदेश दे रहा है। चीन की यात्रा से भारत ने अमेरिका को यह साफ संदेश दे दिया कि अब भारत वैश्विक शक्ति संतुलन में ‘संतुलक’ की भूमिका निभा रहा है।

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