
लखनऊ। डिस्कॉम एसोशिएशन के गठन के पीछे मुख्य उद्देश्य विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण करना है और डिस्कॉम एसोशिएशन पर कंट्रोल मुख्यतया निजी घरानों और स्मार्ट मीटर सप्लायर्स का है। डिस्कॉम एसोशिएशन के गठन से लेकर उत्तर प्रदेश में चल रही निजीकरण की गतिविधियों तक की उच्च स्तरीय जांच कराई जाय और निजीकरण का फैसला रद्द किया जाय। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने यह मांग की।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे एवं सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव ने कहा है कि आल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन में बिजली वितरण में काम करने वाली देश की लगभग सभी निजी कंपनियां शामिल हैं। यह निजी कंपनियां सरकारी विद्युत वितरण निगमों के साथ क्रिटिकल सूचनाएं और डाटा साझा कर रही है और निजीकरण करने के लिए जरूरी दस्तावेज हासिल कर रही हैं। ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन की वेबसाइट पर जाने से यह सारी गतिविधियों स्वतः स्पष्ट हो जाती है।
निजीकरण के पीछे सरकारी धन के दुरुपयोग और घोटाले के समाचार उजागर होने के बाद भी यदि निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया गया तो किसानों, तथा उपभोक्ताओं के साथ मिलकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को निरस्त कराने के लिए व्यापक जन जागरण और आन्दोलन चलाया जाएगा। फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि निजीकरण के पीछे बड़ा घोटाला चल रहा है। ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन की गतिविधियों में हिस्सा लेना खतरे से खाली नहीं है।