
Natural Disaster : पहले उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से आसमानी तबाही आई, फिर हिमाचल प्रदेश में बादल फटे और आपदा ने धार्मिक आस्था पर चोट की। अब जम्मू-कश्मीर में आपदा ने आस्था को नुकसान पहुंचाया है। कटरा में स्थित वैष्णो देवी में हुए लैंडस्लाइड में 34 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। लगातार बारिश के कारण कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अब सवाल ये उठ रहा है कि साल 2025 में पहाड़ी क्षेत्रों में कुदरत का कहर धार्मिक स्थानों पर टूट रहा है?
हाल के दिनों में पहाड़ों पर स्थित कई धार्मिक स्थलों को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था पर भी असर पड़ा है। तेज बारिश, भूस्खलन, बाढ़ और हिमस्खलन जैसी घटनाओं ने इन स्थलों को बार-बार नुकसान पहुंचाया है, जिससे यात्रा और पूजा-पाठ भी प्रभावित हो रहा है।
धार्मिक स्थलों में आपदाएं मौतों का तांडव कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश में बड़े धार्मिक स्थल पहाड़ी स्थानों में बसे हैं। पहाड़ी स्थानों में प्रकृति अपने निश्चल रूप में होती है। पिछले कुछ सालों में पहाड़ पर स्थित धार्मिक स्थलों पर मानवीय गतिविधियां अधिक बढ़ती जा रही है। मानवीय एक्टीविटी में बढ़ोत्तरी होने के कारण पहाड़ों में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है, जिससे वहां का पर्यावरण और जलवायु प्रभावित हो रही है। इस कारण धार्मिक स्थलों पर आपदाओं का खतरा मंडरा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन आपदाओं का मुख्य कारण पर्यावरण में हो रहा बदलाव है। वैश्विक तापमान में वृद्धि, ग्लेशियर का पिघलना और अनियंत्रित खनन गतिविधियों से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा है, जिससे पहाड़ों में अस्थिरता बढ़ी है। नतीजतन, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएँ आम हो गई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है, जो अत्यधिक गर्मी, सूखे, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दे रहा है। इन आपदाओं का प्रभाव पहाड़ों पर बसे धार्मिक स्थलों पर पड़ रहा है। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड कई धार्मिक स्थल, जो प्राकृतिक वातावरण के निकट होते हैं, बार-बार बाढ़, भूस्खलन और तेज गर्मी की चपेट में आ रहे हैं। इससे स्थानीय समुदायों और श्रद्धालुओं का जीवन प्रभावित हो रहा है।
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