
देहरादून : अगस्त माह में उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में आई प्राकृतिक आपदाओं ने राज्य सरकार के लिए गंभीर चुनौती पेश की है। अब सरकार ने धराली के बाद थराली और पौड़ी क्षेत्र में आई आपदाओं के कारणों का अध्ययन करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य भविष्य में ऐसे घटनाओं की पूर्वसूचना और प्रभावी बचाव रणनीति तैयार करना है।
आपदा का असर और अध्ययन की आवश्यकता
उत्तराखंड में मानसून के दौरान अक्सर आपदा जैसी स्थिति बनती है। साल 2025 में अगस्त में धराली, पौड़ी और थराली में आई प्राकृतिक आपदाओं ने जन-धन को भारी नुकसान पहुंचाया। इसे देखते हुए सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में अध्ययन पर विशेष जोर दिया है।
विशेषज्ञों की टीम का गठन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर आपदा प्रबंधन विभाग ने थराली आपदा का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित की है। टीम में शामिल हैं:
- उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र
- वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान
- भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण
- राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (रुड़की)
- केंद्रीय जल आयोग
- सिंचाई विभाग
टीम आज, 28 अगस्त, प्रभावित क्षेत्रों में रवाना होगी।
अध्ययन का दायरा और उद्देश्य
विशेषज्ञ टीम थराली के राडीबगड़, तहसील कार्यालय, आवासीय परिसर, कोटडीप, थराली बाजार, चैपडों और सगवाडा में बाढ़ और भूस्खलन के कारणों का अध्ययन करेगी। साथ ही न्यूनीकरण के उपाय सुझाए जाएंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की आपदाओं से बचाव संभव हो सके।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार, अध्ययन का मुख्य उद्देश्य है:
- आपदा के वास्तविक कारणों की पहचान करना
- भविष्य में संभावित आपदा क्षेत्रों की जानकारी जुटाना
- प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और तैयारी के लिए रणनीति बनाना
रिपोर्ट और आगे की कार्रवाई
विशेषज्ञ टीम की रिपोर्ट आने के बाद सरकार उसके आधार पर कार्यवाही करेगी। अभी रिपोर्ट के लिए कोई समयबद्धता नहीं रखी गई है, क्योंकि प्रभावित क्षेत्रों में अध्ययन की जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए विस्तृत सर्वे की आवश्यकता है।
विनोद कुमार सुमन ने कहा कि पहले भी कई अध्ययन किए गए हैं। कुछ रिपोर्ट्स तत्काल उपयोगी नहीं होती, लेकिन भविष्य में लाभकारी अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जाता। इस बार टीम का उद्देश्य यही है कि भविष्य की आपदाओं को रोकने और बचाव रणनीति तैयार करने में मदद मिले।
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