
GST compensation cess: इस दिवाली आपकी नई कार खरीदने का सपना सच हो सकता है, या कम से कम पहले से कुछ सस्ता तो पड़ ही सकता है. केंद्र सरकार देश की जनता को एक बड़ा ‘दिवाली बोनस’ देने की तैयारी कर रही है. खबर है कि कई महंगी चीजों पर लगने वाला एक ‘एक्स्ट्रा टैक्स’ यानी जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर (GST Compensation Cess) 31 अक्टूबर तक खत्म किया जा सकता है.
अगर ऐसा होता है, तो लग्जरी कारों से लेकर सिगरेट और कोल्ड ड्रिंक तक, कई चीजों के दाम कम हो सकते हैं. इस बड़े फैसले पर आखिरी मुहर लगाने के लिए 3 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की एक अहम बैठक होने जा रही है.
सरल भाषा में समझें, क्या है यह GST सेस?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह ‘सेस’ क्या बला है? इसे बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं. जब 2017 में पूरे देश में ‘एक देश, एक टैक्स’ यानी जीएसटी लागू किया गया था, तो कई राज्यों को डर था कि उन्हें टैक्स का नुकसान होगा, क्योंकि चुंगी, वैट जैसे कई पुराने टैक्स खत्म हो रहे थे.
तब केंद्र सरकार ने राज्यों को एक गारंटी दी. सरकार ने कहा, “आप चिंता मत करो. अगर जीएसटी लागू होने के बाद आपके टैक्स कलेक्शन में कोई कमी आती है, तो उसकी भरपाई हम करेंगे.” इसी भरपाई के लिए पैसों का इंतजाम करने के लिए कुछ चुनिंदा चीजों पर जीएसटी के ऊपर एक और ‘एक्स्ट्रा टैक्स’ लगाया गया. इसी एक्स्ट्रा टैक्स को ‘क्षतिपूर्ति उपकर’ या ‘GST Compensation Cess’ कहते हैं. यह सेस मुख्य रूप से उन चीजों पर लगाया गया था जिन्हें सरकार लग्जरी मानती है या जो सेहत के लिए हानिकारक हैं (Sin Goods).
तो फिर यह जल्दी क्यों खत्म हो रहा है?
इस सेस को असल में 31 मार्च, 2026 को खत्म होना था. लेकिन अब इसे लगभग डेढ़ साल पहले ही खत्म करने की तैयारी हो रही है. इसके पीछे की वजह भी काफी दिलचस्प है. हुआ यह कि कोरोना महामारी के दौरान जब देश में लॉकडाउन लगा, तो राज्यों की कमाई अचानक से बहुत घट गई. तब राज्यों के राजस्व घाटे की भरपाई करने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी ओर से 2.69 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम कर्ज लिया और राज्यों को दिया.
यह तय हुआ कि जीएसटी सेस से जो भी कमाई होगी, उसका इस्तेमाल इसी कर्ज को चुकाने के लिए किया जाएगा. इसीलिए, इस सेस को जून 2022 से बढ़ाकर मार्च 2026 तक कर दिया गया था. अब खुशखबरी यह है कि यह कर्ज लगभग पूरा चुका दिया गया है और उम्मीद है कि 18 अक्टूबर के आसपास यह पूरी तरह से चुकता हो जाएगा. जब कर्ज ही खत्म हो गया, तो उसे चुकाने के लिए लगने वाले ‘एक्स्ट्रा टैक्स’ की भी कोई जरूरत नहीं रही. कानून के मुताबिक भी, कर्ज पूरा होते ही यह सेस खत्म हो जाएगा.
सबसे बड़ा सवाल: कौन-कौन सी चीजें हो सकती हैं सस्ती?
सेस हटने का सीधा मतलब है कि इन चीजों पर लगने वाला टैक्स का बोझ कम हो जाएगा. हालांकि, कंपनियां दाम कितना कम करती हैं, यह उन पर निर्भर करेगा, लेकिन दाम घटने की पूरी-पूरी संभावना है. इस लिस्ट में मुख्य रूप से ये चीजें शामिल हैं:
- लग्जरी और बड़ी गाड़ियां (Cars)
- सिगरेट और तंबाकू उत्पाद (Cigarettes and Tobacco)
- पान मसाला (Pan Masala)
- कोल्ड ड्रिंक और एरेटेड वॉटर (Aerated Drinks)
सरकारी सूत्रों का यह भी कहना है कि सेस कलेक्शन से कर्ज चुकाने के बाद भी सरकार के पास करीब 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये का सरप्लस यानी अतिरिक्त पैसा बच सकता है, जिसे केंद्र और राज्यों के बीच बराबर-बराबर बांटा जाएगा.
क्या है ‘दिवाली का डबल बोनस’?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक घोषणा की थी कि इस दिवाली नागरिकों को ‘डबल बोनस’ मिलेगा. अब इस घोषणा के मायने साफ होने लगे हैं.
पहला बोनस:जीएसटी सेस का खत्म होना, जिससे ऊपर बताई गई चीजें सस्ती हो सकती हैं.
दूसरा बोनस:वित्त मंत्रालय ने जीएसटी काउंसिल को एक और बड़ा प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव है कि जीएसटी के मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को खत्म करके सिर्फ दो स्लैब – 5% और 18% – रखे जाएं.
इसके अलावा कुछ तथाकथित सिन गुड्स (Sin Goods) पर 40% का हायर टैक्स लागू रहेगा. उदाहरणों में शराब, तंबाकू, ड्रग्स, जुआ, शीतल पेय, फास्ट फूड, भी शामिल हैं.
अगर इस प्रस्ताव पर मुहर लगती है, तो यह जीएसटी लागू होने के बाद का सबसे बड़ा सुधार होगा. इससे टैक्स सिस्टम और भी आसान हो जाएगा. सबसे बड़ी बात यह है कि 12% वाले स्लैब में आने वाली कई चीजें 5% में आ सकती हैं और 28% वाले स्लैब की कई चीजें 18% में आ सकती हैं, जिससे आम आदमी के इस्तेमाल की बहुत सी चीजें सस्ती हो सकती हैं.
आखिरी फैसला 3-4 सितंबर को
इन सभी बड़े फैसलों पर आखिरी मुहर 3-4 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में लगेगी. इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करती हैं और सभी राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य होते हैं. अगर काउंसिल इन प्रस्तावों को हरी झंडी दे देती है, तो यह निश्चित रूप से त्योहारी सीजन से पहले देश के आम और मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ी राहत होगी.
कुल मिलाकर, आने वाले दिन आम उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर ला सकते हैं. जीएसटी सेस का हटना और जीएसटी स्लैब में संभावित बदलाव, दोनों ही कदम महंगाई से थोड़ी राहत देने और बाजार में खरीदारी को बढ़ावा देने का काम कर सकते हैं. अब सभी की निगाहें 3 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक पर टिकी हैं.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
सवाल 1: जीएसटी सेस क्या है?
जवाब: यह जीएसटी के ऊपर लगने वाला एक अतिरिक्त टैक्स है, जो कुछ चुनिंदा वस्तुओं जैसे कार, सिगरेट आदि पर लगाया जाता है. इसे राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए शुरू किया गया था.
सवाल 2: क्या सेस हटने से मेरी कार सस्ती हो जाएगी?
जवाब: जी हाँ, पूरी संभावना है. सेस हटने से कारों पर लगने वाला कुल टैक्स कम हो जाएगा, जिसका फायदा कंपनियां ग्राहकों को दे सकती हैं और कारें सस्ती हो सकती हैं.
सवाल 3: जीएसटी काउंसिल की बैठक कब है?
जवाब: जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 3 सितंबर, 2025 को होने वाली है, जिसमें इन मुद्दों पर चर्चा होगी.
सवाल 4: क्या यह फैसला फाइनल हो गया है?
जवाब: नहीं, अभी यह एक प्रस्ताव है. इस पर अंतिम निर्णय 3 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा.
सवाल 5: नए जीएसटी स्लैब का क्या मतलब है?
जवाब: सरकार का प्रस्ताव है कि मौजूदा 4 टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) की जगह सिर्फ 2 स्लैब (5% और 18%) रखे जाएं, जिससे टैक्स प्रणाली आसान होगी और कई चीजें सस्ती हो सकती हैं.