अमेरिका के टैरिफ वार के बीच फिर गूंजा ‘स्वदेशी’ मंत्र….जानिए क्या होगा मोदी सरकार का अगला कदम

नई दिल्ली : हाल के घटनाक्रमों ने एक बार फिर स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में ला दिया है। अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने और गैर-टैरिफ बाधाएं लगाने के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी को हर भारतीय के जीवन का मंत्र बनाने का आह्वान किया है। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद बढ़ रहा है, और विकसित देश अपने उद्योगों को बचाने के लिए नए-नए अवरोध खड़े कर रहे हैं। गांधी जी के स्वदेशी मंत्र से लेकर ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान तक, भारत ने आत्मनिर्भरता को अपनी आर्थिक रणनीति का आधार बनाया है। यह लेख स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की प्रासंगिकता, इसके ऐतिहासिक और वर्तमान संदर्भ, और भारत के आर्थिक भविष्य पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करता है।

महात्मा गांधी ने स्वदेशी को केवल एक आर्थिक आंदोलन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक माना था। आजादी की लड़ाई के दौरान, उन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर और खादी को बढ़ावा देकर भारतीयों को स्वदेशी उत्पादों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। गांधी जी का मानना था कि स्वदेशी न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता लाता है, बल्कि यह हर नागरिक को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाता है। उनका यह मंत्र न केवल विदेशी शासन के खिलाफ एक हथियार था, बल्कि भारत की आर्थिक स्वतंत्रता की नींव भी रखता था।

आज, जब वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद फिर से उभर रहा है, गांधी जी का स्वदेशी मंत्र एक बार फिर प्रासंगिक हो गया है। अमेरिका और यूरोप जैसे देश अपने उद्योगों की रक्षा के लिए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं लगा रहे हैं। ऐसे में, भारत के लिए”.. लिए स्वदेशी और आत्मनिर्भरता ही एकमात्र रास्ता है।

हाल के वर्षों में, वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद का उभार देखा गया है। अमेरिका ने भारत समेत कई देशों पर उच्च टैरिफ लगाए हैं, जैसे कि 26-27% का पारस्परिक टैरिफ, जिसका उद्देश्य व्यापार घाटे को कम करना और अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, गैर-टैरिफ बाधाएं जैसे गुणवत्ता मानक, आयात कोटा, और डेटा स्थानीयकरण नियम भारत जैसे देशों के लिए व्यापार को और जटिल बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भारत के आर्थिक और तकनीकी भविष्य की आधारशिला बनाया है। इस अभियान का लक्ष्य भारत को विनिर्माण, रक्षा, तकनीक, और कृषि जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाना है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों ने भारत को वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

  • विनिर्माण – भारत में निर्मित उत्पाद, जैसे इलेक्ट्रिक कार ‘e-VITARA’, वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में विनिर्माण की लागत अन्य देशों की तुलना में कम है, जिसका लाभ भारत को मिल रहा है।
  • रक्षा क्षेत्र – ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में स्वदेशी हथियारों और तकनीक ने भारत की क्षमता को साबित किया है। यदि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर न होता, तो ऐसी सफलताएं असंभव होतीं।
  • डिजिटल और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम – ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ ने भारत को तकनीकी नवाचार और उद्यमिता का केंद्र बनाया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष विज्ञापन अभियान शुरू किया है, जिसमें गांधी जी के स्वदेशी मंत्र और पीएम मोदी के संदेश को प्रमुखता दी गई है। यह विज्ञापन देशवासियों को स्वदेशी उत्पादों को अपनाने और आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।

वहीं स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि आत्मनिर्भरता भारत के लिए एकमात्र विकल्प है। कोरोना महामारी के दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के टूटने और अब अमेरिकी टैरिफ नीतियों ने इसकी आवश्यकता को और रेखांकित किया है। मंच का कहना है कि भारत को अपने उद्योगों, कृषि, और तकनीक को आत्मनिर्भर बनाना होगा ताकि वैश्विक दबावों का सामना किया जा सके।

भारत का वैश्विक निर्यात

आज भारत दुनिया भर में अपने स्वदेशी उत्पादों का निर्यात कर रहा है। कुछ प्रमुख उदाहरण:

  • ऑटोमोबाइल – भारतीय कारें, जैसे मारुति सुजुकी की ‘e-VITARA’, गुणवत्ता और किफायती कीमत के कारण वैश्विक बाजार में लोकप्रिय हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स – भारत में निर्मित स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लागत और गुणवत्ता में विदेशी उत्पादों को टक्कर दे रहे हैं।
  • फार्मास्यूटिकल्स – भारत का फार्मा उद्योग टैरिफ छूट के कारण अमेरिकी टैरिफ नीतियों से अप्रभावित रहा है, और इस क्षेत्र में 5% की वृद्धि दर्ज की गई है।

इन उपलब्धियों ने भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक मजबूत स्थिति प्रदान की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत स्वदेशी उत्पादन और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करे, तो वह वैश्विक व्यापार युद्ध में भी अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर रख सकता है।

चुनौतियां और अवसर

अमेरिका की टैरिफ नीति और गैर-टैरिफ बाधाओं ने भारत के लिए कई चुनौतियां खड़ी की हैं –

  • निर्यात में कमी: अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि टैरिफ के कारण भारत के निर्यात में 30-33 बिलियन डॉलर की कमी आ सकती है, जिससे 2025-26 की विकास दर 6.1% तक कम हो सकती है।
  • प्रतिस्पर्धात्मकता पर प्रभाव: इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न-आभूषण, और समुद्री खाद्य जैसे क्षेत्रों पर टैरिफ का नकारात्मक असर पड़ सकता है।

हालांकि, यह संकट भारत के लिए अवसर भी लाया है –

  • वैकल्पिक बाजार – भारत को यूरोपीय संघ, आसियान, और मध्य पूर्व जैसे वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान देना चाहिए।
  • मुक्त व्यापार समझौते – भारत-अमेरिका और भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम कर सकते हैं।
  • स्वदेशी नवाचार – ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियान भारत को कम लागत और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन का लाभ उठाने में सक्षम बना रहे हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार का योगदान

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठा विज्ञापन अभियान शुरू किया है। इस अभियान में पीएम मोदी के संदेश को केंद्र में रखा गया है, जिसमें स्वदेशी को आर्थिक स्वतंत्रता का आधार बताया गया है। विज्ञापन में गांधी जी के स्वदेशी मंत्र को भी याद किया गया है, जिसने आजादी के आंदोलन में लोगों को एकजुट किया था। यह अभियान न केवल स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन देता है, बल्कि स्थानीय उद्योगों और रोजगार को बढ़ावा देने पर भी जोर देता है।

स्वदेशी मंत्र आज भी उतना ही प्रासंगिक

वैश्विक व्यापार में बढ़ते संरक्षणवाद और आर्थिक अनिश्चितता के बीच, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता भारत के लिए एक रणनीतिक आवश्यकता बन गई है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियान भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित कर रहे हैं। गांधी जी का स्वदेशी मंत्र आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना आजादी के समय था। यह न केवल आर्थिक स्वतंत्रता का मार्ग है, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान और एकता का प्रतीक भी है।

भारत को इस संकट को अवसर में बदलने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए –

  1. टैरिफ में क्रमिक कमी – भारत को अपने टैरिफ को धीरे-धीरे कम करना चाहिए ताकि वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़े।
  2. मुक्त व्यापार समझौते – अमेरिका, यूरोपीय संघ, और अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों को तेज करना चाहिए।
  3. स्वदेशी नवाचार – रक्षा, तकनीक, और विनिर्माण में स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए।
  4. वैकल्पिक बाजारों का विकास – यूरोप, आसियान, और मध्य पूर्व जैसे बाजारों में निर्यात बढ़ाना चाहिए। अब देखना ये होगा की भारत के लिए ये कितना सशक्त साबित होगा।

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