वन विभाग में अनियमितता मामला : वन विभाग ने 11 कार्मिकों से अवैध तरीके से 20 साल कराई नौकरी ?

सतेंद्र शर्मा

  • कोर्ट से नियुक्ति रद होने के बावजूद भी विभाग देता रहा लाभ
  • दोषी सर्वेयर राम सकल यादव के खिलाफ जांच 5 साल से रोकी गई
  • प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सुनील चौधरी बोले… जांच कराकर जल्द कार्रवाई होगी, दोषी नहीं बचेगा

लखनऊ : उप्र वन विभाग में माननीय कोर्ट के आदेश को छिपाते हुए सर्वेयर के पद की तैनाती के बावजूद व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से क्लर्क के पद रहते हुए 11 कार्मिकों को 20 साल तक वेतन, बोनस, पदोन्नति का लाभ दिलाने का मामला सामने आया है। विभाग ने राम सकल यादव को दोषी मानते हुए जांच की संस्तुति भी की थी। लेकिन जांच अधिकारी ने पांच सालों से जांच को रोके रखा। आखिर जांच क्यों रोककर रखी गई ? यह पूरा मामला वन विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है।

वन विभाग में 16 जून 1992 में माली और चौकीदार समेत 11 लोगों की भर्ती हुई थी। अनियमितता पाए जाने पर 30 जून 1992 को भर्ती निरस्त कर दी गई। तब ये लोग कोर्ट गए और स्टे ले आए। 18 दिसंबर 1998 को कोर्ट से स्टे निरस्त हो गया। इस तरह 11 कार्मिकों की नियुक्ति रद हो गई। बावजूद इसके वन विभाग में कोर्ट का आदेश छुपाकर करीब बीस साल तक कार्मिकों को लाभ दिया जाता रहा। बता दें इस मामले की जांच सिद्धार्थनगर डीएफओ को दी गई थी। जांच में रामसकल यादव को दोषी मानते हुए विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब तक हुई हीलाहवाली लगता है कि जांच अधिकारी राम सकल यादव के सेवानिवृत होने का इंतज़ार किया जा रहा है, जिससे उसे विभागीय जांच से बचाया जा सके। राम सकल यादव के सेवानिवृति होने में करीब एक साल शेष है। वर्तमान में डीएफओ मऊ पीके पांडे जांच कर रहे हैं, जिनके पास 2 साल से जांच पेंडिंग है। 20 सालों तक राम सकल यादव ने कोर्ट के आदेश को छिपाते हुए विभाग को लाखों रुपए की चपत लगाई और 11 कार्मिकों को विभाग 2018 तक नौकरी व अन्य लाभ दिलाता रहा। इस मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सुनील चौधरी ने जांच कराकर जल्द कार्रवाई करने को कहा है। उन्होंने कहा कि दोषी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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