
नई दिल्ली। शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तेजी से सुधार हो रहा है। दोनों देशों के नेता गर्मजोशी से मिल रहे हैं। इसी क्रम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाकर डार ने बांग्लादेश का दौरा किया और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बातचीत की।
इस दौरान, उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से मुलाकात की। इसके अलावा, उन्होंने नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के नेताओं से भी संवाद किया, जिसे हाल ही में अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के समर्थन से स्थापित किया गया है।
बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने डार से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा की। उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया। पाकिस्तान ने बांग्लादेश में निष्पक्ष चुनाव कराने की इच्छा भी व्यक्त की।
वहीं, बांग्लादेशी नेता जैसे कि नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) सहित कई अन्य, ने पाकिस्तान से द्विपक्षीय संबंध सुधारने के लिए 1971 के मुद्दों को सुलझाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
क्या है 1971 का विवाद?
बांग्लादेश 1971 की घटनाओं को नरसंहार कहता है। इस वर्ष, पश्चिमी पाकिस्तान (पाकिस्तान) की सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के बंगाली निवासियों के खिलाफ सामूहिक हत्या, दुष्कर्म और अन्य अत्याचारों का नौ महीने तक चलने वाला विनाशकारी अभियान चलाया। बांग्लादेश इन घटनाओं के लिए पाकिस्तान से जिम्मेदारी लेने की मांग करता रहा है।
बांग्लादेशी नेताओं का कहना है कि पाकिस्तान से माफी मांगी जानी चाहिए, लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा करने से इनकार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान की सेना के जवानों ने कम से कम 10 लाख से अधिक बंगाली महिलाओं से दुष्कर्म किया था और लाखों बंगालियों को मौत के घाट उतारा।
एनसीपी के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी के सदस्य-सचिव अख्तर हुसैन के नेतृत्व में पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार से मुलाकात की। बैठक के बाद, अख्तर हुसैन ने कहा कि दोनों पक्षों के संबंध तभी बेहतर होंगे जब पाकिस्तान 1971 का मुद्दा हल करने के लिए पहल करेगा।
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