
अंकुर त्यागी
लखनऊ। जनपद हरदोई में मनरेगा के तहत हुए बड़े भ्रष्टाचार का मामला अब खुलकर सामने आ गया है। 45 लाख 11 हजार 234 रुपये का गबन साबित होने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है।
मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार के मामले को दैनिक भास्कर ने लगातार उठाया और अपने 5 जून, 26 जून और 4 जुलाई के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद ही शासन ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए जांच आगे बढ़ाई।

कैसे खुला घोटाला
ग्राम पंचायत अरवा गजाधरपुर, विकास खंड हरियांवा के एक ग्रामीण ने शासन को शिकायत दी थी कि वर्ष 2021-22 से 2023-24 के बीच एक ही कार्य को कई बार दिखाकर भुगतान निकाला गया। शिकायतकर्ता द्वारा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को शिकायती पत्र दिया गया था जिसके बाद विभाग ने संज्ञान लेते हुए मुख्यालय से जाँच अधिकारी की नियुक्ति की गयी लेकिन जाँच अधिकारी का तबदला होने के के कारण जाँच ठप हो गयी थी। आपको बताते चलें कि जब दैनिक भास्कर के द्वारा इस मामले को उठाया गया तो ग्राम्य विकास आयुक्त ने संज्ञान लेकर नए जाँच अधिकारी की नियुक्ति की थी लेकिन किसी कारणवस वह अधिकारी भी जाँच करने में असमर्थ रहीं। दैनिक भास्कर ने इस शिकायत को ग्राम्य विकास आयुक्त जी.एस. प्रियदर्शी तक पहुंचाया।
आयुक्त ने उपायुक्त ग्राम्य विकास प्रियंवदा यादव को जांच अधिकारी नियुक्त किया। प्रियंवदा यादव ने 3 जुलाई को गांव में भौतिक निरीक्षण किया और संबंधित फाइलें व भुगतान दस्तावेज मंगवाए, उन्होंने निष्पक्षता से जाँच कर मनरेगा में गबन को उजागर किया।
जांच रिपोर्ट में क्या निकला
- जांच अधिकारी की रिपोर्ट के मुताबिक—
- कुल 51 कार्यों की जांच हुई।
- इनमें से 15 काम असली निकले।
- 9 काम कराए ही नहीं गए।
- जबकि 27 काम दो से तीन बार दिखाकर भुगतान निकाला गया।
- रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पूरे मामले में 45,11,234 रुपये की अनियमितता हुई है।
अब होगी सख्त कार्रवाई
मनरेगा उपायुक्त रवि प्रकाश सिंह ने पुष्टि की कि रिपोर्ट मिल चुकी है। उनके मुताबिक—
- दोषी ग्राम प्रधान, तत्कालीन सचिव और एमबी करने वाले अभियंता/तकनीकी सहायक पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
- गबन की रकम वसूली जाएगी।
- दोषी प्रधान के अधिकार सीज किए जाएंगे।
जिम्मेदार अफसरों पर सवाल
जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि वर्ष 2021 से 2024 तक हरियावा ब्लॉक में तैनात रहे अधिकारियों और कर्मचारियों का ब्योरा बार-बार मांगने के बावजूद उपलब्ध नहीं कराया गया। प्रियंवदा यादव ने लिखा है कि उन्होंने खंड विकास अधिकारी और मनरेगा उपायुक्त को फोन व पत्राचार कर जानकारी मांगी, लेकिन 18 जुलाई तक कोई ब्योरा नहीं दिया गया। इसने पूरे मामले पर संदेह और गहरा कर दिया ।