
नई दिल्ली। भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल (SGI) हरीश साल्वे ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें केवल इतना कहा गया है कि नेता जेल में बैठकर सचिवालय नहीं चलाएंगे। यह बिल्कुल सही और समझदारी वाली बात है।
हरीश साल्वे ने कहा कि मुझे लगता है कि यह बेहद शर्मनाक है कि हमें ऐसे विधेयक की जरूरत है। यह बात सच है कि कोई यह दावा कर रहा है कि उसे जेल की कोठरी से एक मंत्री का कर्तव्य निभाने का अधिकार होना चाहिए, जबकि देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि वे जेल की कोठरी में रहने के हकदार हैं।
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी बात है जो मुझे सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमने सचमुच अपने लोकतंत्र से नाता तोड़ लिया है। साल्वे ने कहा कि समस्या यह है कि राजनेता खुद को “विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग” समझते हैं।
हवाला डायरी मामले का हवाला देते हुए, वरिष्ठ वकील ने कहा कि 1991 के इस मामले में जिन लोगों के नाम थे, उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, हालांकि किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया।
गिरफ्तारी नहीं, फिर भी इस्तीफा
उन्होंने कहा कि 1991 में, जब सुप्रीम कोर्ट ने हवाला डायरी मामले की जांच शुरू की, तो किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। लेकिन जिन पर भी आरोप लगाए गए, उन्होंने सभी ने इस्तीफा दे दिया, जिनमें लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल थे, जो उस समय विपक्ष के नेता थे। उन्होंने कहा था कि जब तक मैं अपना नाम साफ नहीं कर लेता, मैं वापस सार्वजनिक जीवन में नहीं आऊंगा।
जेल से काम करने पर रोक-साल्वे
एनडीटीवी से बातचीत में हरीश साल्वे ने कहा कि यह कानून केवल राजनेताओं को जेल से अपना ऑफिस चलाने से रोकता है, उन्हें अयोग्य नहीं बनाता।
लोकसभा में पेश हुआ संविधान (130वां संशोधन) विधेयक
बता दें कि बुधवार को, गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 पेश किया। इस विधेयक में, कम से कम पांच साल की जेल की सजा वाले गंभीर अपराधों में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है, और 31वें दिन उनकी कुर्सी चली जाएगी।
इस विधेयक को जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं।
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