भाजपा नेता वीरेंद्र दुबे के परिवार पर आफत, सुसाइड नोट में बेटी का नाम

  • लीज पर लिया था पैराडाइज होटल, घाटा हुआ तो नौकरी करने लगा
  • नौ लाख की धरोहर राशि वापस नहीं हुई तो हताश होकर जहर खाया
    भास्कर ब्यूरो
    कानपुर। भाजपा के चर्चित नेता वीरेंद्र दुबे के होटल कर्मचारी ने साझेदारों और वीरेंद्र दुबे की बिटिया पर धोखाधड़ी का आरोप लगाकर जिंदगी को अलविदा कहने का प्रयास किया है। जहर खाने के बाद नाजुक हालत में उसे हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सुसाइड नोट के मुताबिक साझेदारों की गद्दारी के कारण लीज पर होटल का करार टूटने के कारण कर्जदार हो गया। इसके बाद वीरेंद्र दुबे की बेटी भी धरोहर राशि वापस करने से मुकर गई। कोतवाली पुलिस मामले की पड़ताल में जुटी है, जबकि डाक्टर्स की टीम अफरोज आलम की जिंदगी बचाने में जुटी है।

लीज पर लिया था होटल पैराडाइज
कर्नलगंज निवासी अफरोज आलम ने अपने मित्र विवेक वर्मा के साथ मिलकर कचहरी के करीब चेतना चौराहे पर वीरेंद्र दुबे का होटल पैराडाइज लीज पर लिया था। तय हुआ था कि, प्रत्येक महीने होटल के बैंक खाते में साढ़े तीन लाख रुपए जमा करने के बाद शेष कमाई में दोनों पार्टनर हिस्सेदार करेंगे। इकरारनामे के समय वीरेंद्र दुबे की बेटी अपर्णा दुबे ने अफरोज आलम से नौ लाख रुपए बतौर सिक्योरिटी धनराशि जमा कराए थे। तय किया गया था कि, होटल की जिम्मेदारी छोड़ते समय सिक्योरिटी धनराशि वापस होगी, लेकिन होटल छोड़ने की सूचना तीन महीने पहले देनी होगी। इकरारनामे के एक महीने बाद अफरोज आलम ने ओपन स्काई रेस्त्रां की जरूरत जताई तो चार लाख रुपए अपर्णा दुबे और चार लाख रुपए अफरोज ने लगाए थे।

घाटा होने पर नौकरी करने लगा अफरोज
होटल पैराडाइज को लीज पर लेने के कुछ महीने बाद अफरोज आलम और साझेदार विवेक वर्मा में विवाद हुआ तो दोनों अलग हो गए। इसी दरमियान, अफरोज ने घंटाघर में विवेक वर्मा के साथ मिलकर होटल गिरजा इन को रामजी गुप्ता से लीज पर लिया था। साझेदार के हटने के बाद अफरोज आलम के लिए होटल चलाना मुश्किल हुआ तो उसने बगैर अग्रिम नोटिस दिए होटल पैराडाइज और होटल गिरजा इन की जिम्मेदारी से तौबा करते हुए धरोहर राशि वापस करने का आग्रह करते हुए वीरेंद्र दुबे से नौकरी की फरियाद लगाई। दुबे परिवार ने अफरोज को हॉल पैराडाइज में नौकरी पर रखा, लेकिन धरोहर राशि वापस करने से इंकार कर दिया। तर्क दिया गया कि, तीन महीने की अग्रिम सूचना नहीं देने के कारण प्रति माह साढ़े तीन लाख के हिसाब से सिक्योरिटी धनराशि और रेस्त्रां में खर्च रकम को समायोजित कर लिया गया है।

महीनों कर्जदारों का दबाव पड़ा तो जिंदगी दावं पर
अफरोज के परिजनों का कहना है कि, होटल को लीज पर लेने और रेस्त्रां बनाने के लिए अफरोज ने तमाम लोगों से कर्ज लिया था। होटल कारोबार में असफल होने के बाद कर्जदारों ने रकम वापसीके लिए दबाव बनाना शुरू किया, लेकिन होटल गिरजा इन के मालिक रामजी गुप्ता और होटल पैराडाइज की कर्ता-धर्ता अपर्णा दुबे ने सिक्योरिटी धनराशि को हड़प लिया था। साथ ही साझेदार विवेक वर्मा ने भी होटल की कमाई में गोलमोल किया था। ऐसे में अफरोज आलम ने हताश होकर शुक्रवार की शाम जहर खाकर जिंदगी को अलविदा कहने का इंतजाम कर लिया। खबर मिलने पर होटल कर्मचारियों ने नाजुक हालत में उर्सला अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टर्स ने हैलट रेफर कर दिया। हैलट में प्राथमिक इलाज के बाद परिजन उसे लेकर किसी निजी अस्पताल चले गए हैं।

वीरेंद्र दुबे का पुराना आपराधिक इतिहास
पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, चर्चित भाजपा नेता वीरेंद्र दुबे का पुराना आपराधिक इतिहास है। वर्ष 1987 में नजीराबाद थाने में दर्ज पहली एफआईआर के बाद वर्ष 2004 में वीरेंद्र दुबे पर ताबड़तोड़ मामले दर्ज हुए थे। वर्ष 2024 में कोतवाली थाने मे वीरेंद्र दुबे और उनकी बेटी अपर्णा दुबे के खिलाफ जमीन धोखाधड़ी के दो मामले दर्ज हुए हैं। इस मामले में वीरेंद्र दुबे का कहना है कि, वर्ष 2004 में तत्कालीन एसएसपी ने अखिलेश दुबे से इशारे पर फर्जी मामले दर्ज कराए थे।

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