
झांसी: पंचायत सहायकों की व्यथा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। गांव के विकास और योजनाओं की रीढ़ कहे जाने वाले पंचायत सहायक अब खुद असुरक्षा के दलदल में फंसे हुए हैं। मोंठ ब्लॉक क्षेत्र के पंचायत सहायकों ने खंड विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर अपनी गंभीर समस्याओं से अवगत कराया है।
खेतों में सांप-बिच्छुओं के बीच सर्वे!
पंचायत सहायकों का आरोप है कि उनकी ड्यूटी क्रॉप सर्वे में लगा दी गई है, जबकि यह काम मूल रूप से कृषि विभाग का है। पंचायत सहायकों ने कहा कि खेतों में पानी भरा हुआ है, जगह-जगह जहरीले जीव-जंतु, सांप और बिच्छू घूम रहे हैं, जिससे हर कदम पर उनकी जान को खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं, खेतों में झूलते बिजली के तार भी जानलेवा साबित हो सकते हैं।
मेहनताना 6 हज़ार, जिम्मेदारी लाखों की!
पंचायत सहायकों का कहना है कि उन्हें सिर्फ 6,000 रुपये मानदेय मिलता है, लेकिन उनसे गांवों में योजनाओं की ऑनलाइन फीडिंग से लेकर विकास कार्यों की निगरानी और अब खतरनाक फील्ड सर्वे जैसे जोखिम भरे काम भी करवाए जा रहे हैं। इतना अधिक काम और जिम्मेदारी के बावजूद सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई।

आदेश नहीं, सिर्फ व्हाट्सएप मैसेज!
पंचायत सहायक सत्यम पाल ने खुलासा किया कि क्रॉप सर्वे के लिए उन्हें किसी तरह का लिखित आदेश नहीं दिया गया। केवल फोन कॉल और व्हाट्सएप मैसेज भेजकर उन्हें काम में झोंक दिया जाता है। उन्होंने इस तरह के अनौपचारिक और जोखिम भरे आदेशों का विरोध किया है और साफ कहा है कि बिना लिखित आदेश के वह इस कार्य को नहीं करेंगे।
ज्ञापन सौंपकर जताया विरोध
सहायकों ने खंड विकास अधिकारी मोंठ को ज्ञापन देकर मांग की है कि कृषि विभाग का कार्य उन पर न थोपा जाए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार और विभाग उनकी सेवाएं लेना ही चाहते हैं, तो उन्हें सुरक्षा उपकरण, पर्याप्त मानदेय और लिखित आदेश दिया जाए।
प्रशासन मौन, सहायकों में आक्रोश
गांव-गांव तक योजनाओं को पहुंचाने वाले पंचायत सहायकों का कहना है कि उन्हें काम तो अफसरशाही की तरह दिया जाता है, लेकिन उनकी हालत मजदूर से भी बदतर है। प्रशासन की चुप्पी से सहायकों में आक्रोश है और उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वे सामूहिक रूप से कार्य बहिष्कार करने को बाध्य होंगे।
बीडीओ ने कहा
खंड विकास अधिकारी राकेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि “क्रॉप सर्वे न करने के लिए पंचायत सहायकों ने ज्ञापन दिया है, जिसे जिला स्तरीय अधिकारियों को भेज दिया गया है। उच्चाधिकारियों के आदेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
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