स्ट्रे डॉग्स के लिए मेनका गांधी ने दिया सॉल्यूशन! कहा- ‘पहचानिए कुत्ते हिंसक हैं या नहीं…’

Menka Gandhi on Stray Dogs : आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को लेकर पशु अधिकार कार्यकर्ता और बीजेपी नेता मेनका गांधी ने स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने आदेश दिया है कि शेल्टर होम भेजे गए सभी आवारा कुत्तों को छोड़ दिया जाए।

मेनका गांधी ने कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि कुत्तों के लिए विशेष खाने की जगहें बनाई जाएंगी और इस बात पर जोर दिया कि 25 साल बाद पहली बार सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए संसद में 2500 करोड़ रुपये का फंड घोषित किया है।

मेनका गांधी ने कहा, “मैं इस वैज्ञानिक फैसले से बहुत खुश हूं। कुत्तों के काटने की मुख्य वजह डर और स्थान परिवर्तन है। रेबीज से पीड़ित कुत्तों को छोड़े जाने का कोई सवाल ही नहीं है। कोर्ट ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आक्रामक कुत्ता कौन सा है, इसकी परिभाषा तय होनी चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “हम यह तय करने का प्रयास करेंगे कि आक्रामक कुत्ते कौन हैं। कानून के अनुसार, इस मामले पर एक समिति गठित की जाएगी, जो यह तय करेगी कि किस व्यवहार को आक्रामक माना जाएगा।”

मेनका गांधी ने चेतावनी दी, “कुछ लोग कुत्तों के प्रति मित्रवत नहीं हैं और वे इस निर्णय का फायदा उठाकर कुत्तों को आक्रामक बता सकते हैं, ताकि उन्हें कैद में रखा जा सके।”

उन्होंने कहा, “खाने की विशेष जगहें बनाना सही है। नगर निगम को ऐसी जगहों के लिए साइनबोर्ड भी लगाने होंगे। कोर्ट ने कहा है कि यह फैसला पूरे देश पर लागू होगा। आदेश के अनुसार, नगर निगमों को उचित एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर बनाना होगा। 25 साल में पहली बार सरकार ने संसद में इस कार्यक्रम के लिए 2500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।”

सुप्रीम कोर्ट ने ताजा आदेश में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 11 अगस्त के आदेश में बदलाव करते हुए, दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए नए निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद, कुत्तों को उसी इलाके में वापस छोड़ा जाएगा, लेकिन रेबीज से पीड़ित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को अलग रखा जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया, “नसबंदी और टीकाकरण के बाद आवारा कुत्तों को उसी इलाके में छोड़ा जाएगा, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से पीड़ित हों या आक्रामक व्यवहार दिखाएं।”

इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया कि सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाने नहीं दिया जाएगा। इसके स्थान पर, विशेष खाने की जगहें बनाई जाएंगी। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को निर्देशित किया गया कि अपने वार्डों में इन जगहों का निर्माण करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि पशु प्रेमी एमसीडी के सामने कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पशुपालन विभाग के सचिव इस पर विचार करें। कोर्ट ने अपने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह उन सभी हाई कोर्ट से जानकारी ले, जहां आवारा कुत्तों से संबंधित याचिकाएं लंबित हैं। इन्हें सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की वकील और याचिकाकर्ता ननिता शर्मा ने इस फैसले को “संतुलित” बताया।
उन्होंने कहा, “यह एक संतुलित आदेश है। कोर्ट ने सभी राज्यों को इस मामले में शामिल किया है। सभी लंबित याचिकाएं एक ही कोर्ट के तहत लाई जाएंगी। कोर्ट ने कहा कि सामान्य कुत्तों की नसबंदी होगी और आक्रामक कुत्तों को पाउंड या पशु आश्रयों में रखा जाएगा।”

सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश में क्या कहा गया था?

11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के सभी इलाकों को आवारा कुत्तों से मुक्त किया जाए, और इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

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