बहराइच : आखिर जरवल का देशी पान काल के गाल में समा ही गया…

  • 80 के दशक में ओलावृष्टि के कारण चौपट हुई थी पान की फसल किसान हुए थे कंगाल
  • पान की खेती के नुकसान पर नहीं मिला सरकारी अनुदान जबकि पान के खेती के साथ हरी सब्जियों की भी होती थी खेती

बहराइच, जरवल। जरवल ही नही पास-पड़ोस के गांवो में देसी पान की खेती के साथ हरी सब्जियों के लिए खेती होती थी लेकिन 80 के दशक में हुई ओलावृष्टि के कारण पान ही नहीं हरी सब्जियों के खेती भी बर्बाद हो गई ऊपर से सरकारी सहायता न पाने की वजह से पान के किसान पूरी तरह कंगाल हो गए और पान की खेती करना ही बंद कर दिए यही कारण रहा की जरवल ही नहीं पास पड़ोस के गांवो में भी देशी पान काल के गाल में समा गया l

जबकि बड़े-बड़े महानगरों जैसे कोलकाता बनारस लखनऊ आदि शहरों में जरवल का देसी पान जलमार्ग के द्वारा जाता था लेकिन ओलावृष्टि की मार ने जरवल के देसी पान पर पूरी तरह ग्रहण लगा दिया। बताते चलें देसी पान की खेती भारत के कई हिस्सों में की जाती है।खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ जलवायु पान की खेती के लिए अनुकूल हो जानकारों की माने तो पान की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पान की खेती की जाती है।इन राज्यों में पान की जाती है। क्योंकि यहाँ की जलवायु पान की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है। उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से वाराणसी (बनारस) पान के लिए प्रसिद्ध है। यहां देसी पान के साथ-साथ मगही और बांग्ला पान की किस्में भी उगाई जाती हैं। बिहार में मगही पान की खेती नवादा गया, औरंगाबाद और नालंदा जिलों में की जाती है। इसके अलावा कलकत्ता में देसी, पाटन और बांग्ला पान की किस्में भी उगाई जाती है।

पान की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए जलवायु
पान की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है। इसके लिए 28-35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 150-200 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। पान की बेलों को छायादार स्थान पसंद होता है।इसलिए इसे अन्य ऊंची फसलों के साथ या बांस की छाया में उगाया जा सकता है।
तापमान-28-35 डिग्री सेल्सियस
वर्षा-150-200 सेंटीमीटर
आर्द्रता-उच्च आर्द्रता
पान की बेलों को छायादार स्थान पसंद होता है।

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