Bihar Politics : हसनपुर में तेज प्रताप की जगह कौन? राजद की सूची में शामिल हैं ये नेता

Bihar Politics : समस्तीपुर के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक तेज प्रताप यादव को राजद ने निष्कासित कर दिया है। विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हें यहां से अपना उम्मीदवार नहीं बनाएगी। अब यादव बहुल इस सीट पर राजद के सामने एक साफ-सुथरे उम्मीदवार को प्रत्याशी बनाने की चुनौती है।

इस विधानसभा सीट से हमेशा यादव उम्मीदवार ही विजयी होते आए हैं। यहां से पूर्व में राजेंद्र यादव, गजेंद्र प्रसाद हिमांशु, और सुनील कुमार पुष्पम जैसे प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। राजेंद्र यादव राज्य सरकार में मंत्री थे, वहीं गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने मंत्री से विधानसभा उपाध्यक्ष तक का सफर तय किया है।

जीत का सर्वाधिक रिकॉर्ड गजेंद्र प्रसाद हिमांशु और हिमांशु के नाम ही रहा। इस बार के चुनाव को लेकर राजद में कई चेहरे हैं, जिनमें पूर्व विधायक सुनील कुमार पुष्पम, रामनारायण मंडल, विभा देवी और ललन यादव प्रमुख हैं। इन नामों में से किसी एक पर सर्वसम्मति बनाना चुनौती है।

खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हसनपुर विधानसभा के 2020 के चुनाव में इस सीट से आठ प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला राजद के तेज प्रताप यादव और जदयू के राजकुमार राय के बीच ही था। तेज प्रताप यादव को 80,991 मत मिले, जबकि राजकुमार राय को 59,852 मत। जाप प्रत्याशी अर्जुन प्रसाद यादव को 9,882 और लोजपा के मनीष कुमार सहनी को 8,797 मत मिले। तेज प्रताप ने लगभग 21 हजार मतों से यह सीट जीती थी। चुनाव जीतने के बाद वे एक माह पूर्व हसनपुर आए थे और लोगों से मिल-जुलकर चर्चा की।

कुछ दिनों बाद ही उन्होंने हसनपुर सीट छोड़कर महुआ विधानसभा से अपनी किस्मत आजमाने का ऐलान किया। अब इस सीट से दावेदारों की लंबी सूची में से किसी एक के नाम पर सर्वसम्मति बनाने का प्रयास राजद जुटी है, जबकि सभी अपने अपने जीत के दावे कर रहे हैं।

हसनपुर, बिथान और सिंघिया प्रखंड के कुछ पंचायतों को मिलाकर यह विधानसभा 1967 में बनी थी। पहले विधायक के रूप में गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने जीत दर्ज की। वे लगातार 1980 तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे। कभी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, तो कभी जनता पार्टी और जनता पार्टी सेक्युलर की टिकट पर वे विधायक बने।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उभरी सहानुभूति की लहर में उन्हें यह सीट गंवानी पड़ी, जब कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद यादव ने उन्हें हराया। 1990 के चुनाव में फिर से गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने इस सीट पर कब्जा किया। 1995 में उनके भतीजे सुनील कुमार पुष्पम ने चाचा को मात दी।

2000 में गजेंद्र प्रसाद हिमांशु फिर विधायक चुने गए, जबकि 2005 के दोनों चुनाव में भतीजे सुनील कुमार पुष्पम ने जीत हासिल की। इस विधानसभा के 14 चुनावों में से सात बार गजेंद्र प्रसाद हिमांशु ने जीता, तीन बार उनके भतीजे ने, जबकि दो बार जदयू के राजकुमार राय ने, एक बार राजद के तेज प्रताप और एक बार राजेंद्र यादव ने जीत दर्ज की है।

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