
अमेरिका की दो बड़ी विमानन कंपनियां – डेल्टा एयरलाइंस और यूनाइटेड एयरलाइंस – उस वक्त विवादों में घिर गईं जब यात्रियों ने उनके खिलाफ सामूहिक मुकदमा (क्लास एक्शन) दर्ज कराया। आरोप है कि इन कंपनियों ने यात्रियों से “खिड़की वाली सीट” देने के नाम पर अतिरिक्त शुल्क वसूला, लेकिन असल में उन सीटों के पास कोई खिड़की थी ही नहीं।
क्या है मामला?
यात्रा के दौरान खिड़की वाली सीट लेना अधिकतर लोगों की प्राथमिकता होती है — ताकि बाहर का नज़ारा देखा जा सके, रोशनी मिले, और क्लॉस्ट्रोफोबिया (घुटन) जैसी समस्याओं से राहत मिले। लेकिन यात्रियों का आरोप है कि डेल्टा और यूनाइटेड ने इस भावना का फायदा उठाते हुए कुछ ऐसी सीटों को भी प्रीमियम के तौर पर बेचा, जिनके बगल में सिर्फ दीवार थी।
कहां दायर हुए मुकदमे?
- यूनाइटेड एयरलाइंस के खिलाफ केस सैन फ्रांसिस्को की संघीय अदालत में दाखिल हुआ है।
- डेल्टा एयरलाइंस पर मुकदमा ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क की संघीय अदालत में दायर किया गया है।
दोनों मामलों में यात्रियों ने लाखों डॉलर का हर्जाना मांगा है। दावा किया गया है कि इन एयरलाइंस में 10 लाख से अधिक यात्री इस कथित धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं।
तकनीकी कारण, लेकिन जानकारी नहीं दी गई
यात्रियों ने बताया कि बोइंग 737, बोइंग 757 और एयरबस A321 जैसे विमानों में कुछ ऐसी सीटें हैं जिनके पास तकनीकी कारणों — जैसे एयर कंडीशनिंग डक्ट, इलेक्ट्रिकल वायरिंग या अन्य उपकरणों की वजह से खिड़कियां नहीं होतीं। बावजूद इसके, एयरलाइंस इन सीटों को बुक करते समय यात्रियों को कोई पूर्व सूचना नहीं देतीं।
इसके विपरीत, अलास्का एयरलाइंस और अमेरिकन एयरलाइंस जैसी कंपनियां स्पष्ट रूप से यह जानकारी देती हैं कि किन सीटों पर खिड़की नहीं है।
पैसे की वसूली, भरोसे का सवाल
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि एयरलाइंस ने यात्रियों की जरूरत और इच्छा का फायदा उठाकर ऐसी सीटों के लिए दर्जनों से लेकर सैकड़ों डॉलर तक वसूले। यात्रियों ने यह सीटें खास उद्देश्यों से ली थीं — जैसे बच्चों को व्यस्त रखने, रोशनी पाने, उड़ान का डर कम करने या बाहर का नज़ारा देखने के लिए।
यूनाइटेड एयरलाइंस के खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा गया है:
“अगर यात्रियों को पता होता कि ये सीटें बिना खिड़की की हैं, तो न तो वे इन्हें चुनते और न ही अतिरिक्त भुगतान करते।”
क्या होगा आगे?
अगर यह मुकदमा यात्रियों के पक्ष में जाता है, तो यह मामला केवल डेल्टा और यूनाइटेड तक सीमित नहीं रहेगा। अन्य एयरलाइंस पर भी यह दबाव बनेगा कि वे अपनी सीट बुकिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएं और यात्रियों को हर सीट की सटीक जानकारी पहले से दें।
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