
लखनऊ। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या फिर किसी मंत्री पर पांच साल से अधिक सजा के प्रावधान वाले मामलों में आरोप लगाए जाने पर, यदि वे तीस दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा। इस बिल को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया है।
बिल के पेश होने के बाद, लोकसभा में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। कांग्रेस, सपा और टीएमसी ने इसे संविधान के खिलाफ कदम बताया है। असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने उदाहरण देते हुए कहा कि राजनीति में शुचिता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है, और हमें अपनी जिम्मेदारी से नहीं भागना चाहिए।
अमित शाह ने कहा, “गुजरात में मैं मंत्री था, तो मेरे ऊपर आरोप लगे। मैंने पद से इस्तीफा दिया और कोर्ट के आदेशों का पालन किया। इसके बाद, जब आरोपों से बरी हो गया, तो मैंने फिर से जिम्मेदारी संभाली, क्योंकि संविधान के तहत मुझे पद पाने का अधिकार मिला है।”
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