ऑनलाइन गेमिंग पर सख्ती: संसद में पेश होगा बिल, Dream11 पर लटक सकती है तलवार

India Betting Apps May Be Ban: केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऑनलाइन गेमिंग बिल को मंजूरी दी, जिसे जल्द ही लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को कानूनी दायरे में लाना, सट्टेबाजी और जुए से संबंधित ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना और युवाओं को इनके नकारात्मक प्रभावों से बचाना है। क्रिकेट टीम बनाने वाली ड्रीम11 जैसे गेमिंग एप पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। ऑनलाइन गेमिंग में बेटिंग को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा और इसके तहत सात साल की कैद और 10 लाख तक के जुर्माने का प्रविधान किया जा रहा है।

सट्टेबाजी ऐप्स पर सख्त कार्रवाई

नए विधेयक में सट्टेबाजी और जुए से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर सख्त पाबंदी का प्रावधान है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसे गेम्स, जो वित्तीय नुकसान, व्यसन, डेटा गोपनीयता उल्लंघन और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे जोखिमों को बढ़ावा देते हैं, पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके साथ ही, सेलिब्रिटी और सार्वजनिक हस्तियों द्वारा सट्टेबाजी या जुए से जुड़े ऐप्स का प्रचार करने पर भी रोक लगेगी। सरकार का कहना है कि यह कदम विशेष रूप से युवाओं को भ्रामक प्रचार से बचाने के लिए उठाया गया है। आपको बता दें कि बीते 4 से 5 सालों में 1400 से अधिक एप को प्रतिबंधित किया जा चुका है।

धोखाधड़ी और सामाजिक प्रभाव पर चिंता

ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के बढ़ते चलन ने सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को जन्म दिया है। हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महादेव ऑनलाइन बुक (एमओबी) जैसे कई अवैध सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स की जांच शुरू की, जिन पर करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग और उपयोगकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी का आरोप है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि 1867 का सार्वजनिक जुआ अधिनियम अब अप्रासंगिक हो चुका है और ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए नए कानून की आवश्यकता है। कोर्ट ने सरकार को एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का सुझाव दिया है जो इस दिशा में विधायी व्यवस्था सुझाए।

नए नियमों का ढांचा

प्रस्तावित कानून में ऑनलाइन गेमिंग को ‘गेम्स ऑफ स्किल’ और ‘गेम्स ऑफ चांस’ में वर्गीकृत करने का प्रावधान है। गेम्स ऑफ स्किल, जैसे कि फंतासी स्पोर्ट्स, को वैध माना जाएगा, जबकि सट्टेबाजी और जुआ आधारित गेम्स पर प्रतिबंध रहेगा। सरकार ने पहले ही 2023 में आईटी नियमों में संशोधन कर स्व-नियामक संस्थाओं (एसआरओ) की स्थापना को अनिवार्य किया था, जो यह निर्धारित करती हैं कि कोई गेम वैध है या नहीं। नए विधेयक में इन नियमों को और सख्त करने की योजना है।

राज्य और केंद्र का सहयोग

ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी को नियंत्रित करना केंद्र और राज्यों दोनों का विषय है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने स्थानीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, लेकिन ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स और वीपीएन के उपयोग ने इन प्रयासों को कमजोर किया। केंद्र सरकार अब एक राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत कानून लाने की दिशा में काम कर रही है, जिससे अवैध गेमिंग और सट्टेबाजी पर प्रभावी रोक लग सके।

उम्मीदें और चुनौतियां

यह विधेयक ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसे लागू करने में तकनीकी और कानूनी चुनौतियां आ सकती हैं, खासकर ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने में। फिर भी, सरकार का यह कदम युवाओं को व्यसन और धोखाधड़ी से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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