
नई दिल्ली : भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में उनके नाम पर अंतिम मुहर लगाई गई। इस ऐलान के साथ ही साफ हो गया है कि पार्टी ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। जगदीप धनखड़ की जगह अब सौम्य और समावेशी छवि वाले सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा गया है।
साल 2022 में जब जगदीप धनखड़ को एनडीए का उम्मीदवार बनाया गया था, तब जाट समाज को साधने की रणनीति अपनाई गई थी। धनखड़ लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे थे और संघ से उनका गहरा नाता नहीं था। वहीं, उनका राजनीतिक अंदाज़ टकराव और मुखरता वाला रहा, खासकर बंगाल के राज्यपाल कार्यकाल में ममता बनर्जी सरकार से टकराव इसकी मिसाल है।
इसके विपरीत, सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। यह भाजपा की ओबीसी सोशल इंजीनियरिंग और दक्षिण भारत में राजनीतिक विस्तार की योजना को मजबूती देता है। तमिलनाडु में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में उनका नाम भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।
राधाकृष्णन किशोरावस्था से ही संघ से जुड़े रहे हैं और उनकी छवि शांत, सौम्य और समावेशी नेता की है। माना जा रहा है कि वह उपराष्ट्रपति पद की संवैधानिक जिम्मेदारियों को बेहतर संतुलन और निष्पक्षता के साथ निभा सकेंगे। विपक्ष भी उनके नाम का जोरदार विरोध करने की स्थिति में नहीं दिख रहा।