Independence Day 2025: देशभक्ति की मिसाल बने ये 5 ऐतिहासिक गांव…अपने बच्चों को लेकर जरुर जाएं

स्वतंत्रता संग्राम केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं था, बल्कि देश के अनगिनत छोटे-छोटे गांवों ने भी आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। इनमें से कई गांव आज भी अपनी मिट्टी में आजादी की गूंज समेटे हुए हैं। 15 अगस्त 2025 को जब भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, तो आइए जानते हैं ऐसे 5 ऐतिहासिक गांवों के बारे में, जिनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।

1. बरदोली, गुजरात
1928 में बरदोली गांव में ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानों पर 22% कर वृद्धि के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की शुरुआत हुई। सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में हुए इस “बरदोली सत्याग्रह” ने न केवल किसानों को न्याय दिलाया बल्कि पटेल को “सरदार” की उपाधि भी दिलाई। बरदोली आज भी स्वतंत्रता की प्रेरणा का स्रोत है।

2. चंपारण, बिहार
1917 में महात्मा गांधी का पहला सत्याग्रह चंपारण में हुआ। यह आंदोलन नील की खेती में किसानों के शोषण के खिलाफ था। गांधीजी के नेतृत्व में चलाए गए इस सत्याग्रह ने ब्रिटिश सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। चंपारण की गलियां और खेत आज भी उस संघर्ष की गवाही देते हैं।

3. बिसाऊ, राजस्थान
झुंझुनू जिले का बिसाऊ गांव 1857 के विद्रोह में सक्रिय रहा। यहां के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ डटकर संघर्ष किया और कई स्वतंत्रता सेनानी दिए। आज भी बिसाऊ की मिट्टी में राष्ट्रभक्ति की खुशबू बसती है।

4. संगरूर, पंजाब
संगरूर की धरती गदर पार्टी और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों की कहानियों से गूंजती है। यहां लाला लाजपत राय जैसे महान नेता भी जुड़े रहे, जिन्होंने पंजाब में स्वतंत्रता की अलख जगाई।

5. मेलुकोटे, कर्नाटक
मैसूर के पास स्थित मेलुकोटे गांव 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्थानीय क्रांति का केंद्र बना। यहां के ग्रामीणों ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलकर स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

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