
लखनऊ : वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजे आते ही राष्ट्रीय पार्टी बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव आयोग पर जो निशाना साधा और आरोप लगाये वो दिनों-दिन गंभीर होते जा रहे हैं। बसपा प्रमुख ने 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सीधे तौर पर निर्वाचन आयोग और ईवीएम को हार का जिम्मेदार ठहराया था और उस पर काफी हद तक सख्त रूख के साथ कायम भी रहीं थीं लेकिन समय के साथ बसपा ने उन मुद्दों को छोड़ दिया है जिससे कांग्रेस,राजद समेत अन्य पार्टियों ने इस मुद्दे को लपककर इस मुद्दे पर बसपा से बढ़त बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। बसपा के मौन से बसपा को ही राजनैतिक फायदा होता नजर नहीं आ रहा है।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में नतीजों के सामने आते ही बसपा प्रमुख सुश्री मायावती ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिया था। बसपा की राष्ट्रीय नेता द्वारा उठाये गये इस मुद्दे से राजनैतिक हलचल काफी तेज हो गयी थी और बसपा द्वारा 11 मार्च 2017 के चुनाव परिणाम आने के बाद इस मुद्दे पर प्रत्येक महीने भाजपा द्वारा लोकतंत्र की हत्या के आरोप में काला दिवस मनाने का फैसला किया गया था। बसपा प्रमुख द्वारा इस मुद्दे को आसानी से नहीं छोड़ा गया और कई महीनों तक बसपा प्रमुख ने अकेले ही इसे सार्वजनिक रूप से उठाया था।

ईवीएम से छेड़छाड़ समेत निर्वाचन आयोग की छवि को काफी धक्का लगा था। बसपा के अकेले ही इस मुद्दे को उठाने और विपक्षी दलों का साथ उस समय न मिलने से भाजपा ने बसपा पर राजनैतिक हमले तेज कर दिये थे लेकिन बसपा अकेले ही इस मुद्दे को उठाती रही। बसपा के कार्यकर्ता भी अपनी बैठकों में सार्वजनिक रूप से इसे उठाते रहे। भाजपा के निशाने पर रही बसपा,भजपाई हमले और निर्वाचन आयोग के तर्कों से शांत हो गयी। इसके बाद दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी इस ईवीएम को लेकर काफी कुछ बयान दिया था और ईवीएम पर संदेह जताया था।
आप सांसद संजय सिंह ने तो ईवीएम पर बैन लगाने के लिए काफी शोर मचाया था। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने भी वोटर लिस्ट से वोटरों के नाम गायब होने की शिकायत निर्वाचन आयोग से की थी। निर्वाचन आयोग बीच-बीच में अपने तर्क देता रहा लेकिन ईवीएम और वोटर लिस्ट को लेकर वोटरों के मन में संदेह पैदा होता रहा। इसी बीच अगस्त माह में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट के जरिये वोट चोरी का मामला उठाकर सबको चौंका दिया। इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव ने भी वोटर लिस्ट से नाम गायब होने की बात कहकर सभी को चौंका दिया।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बाद में यह कहकर पिक्चर अभी बाकी है,हम निर्वाचन आयोग को छोड़ने वाले नहीं,कहकर और सनसनी फैला दी। कांग्रेस नेता द्वारा लगाये गये इन आरोपों का निर्वाचन आयोग ने जवाब तो दिया लेकिन वोटरांें के मन में अब निर्वाचन आयोग के प्रति वर्तमान में संदेह जरूर पैदा कर दिया है। 2017 से बसपा द्वारा शुरू की गयी इस राजनैतिक लड़ाई अब वर्तमान में 2025 में कांग्रेस के हाथों चली गयी है।
बसपा ने अपने ही मुद्दे से ध्यान हटाकर अपनी तलवार रणभूमि में किसी और को थमा दी है। इस मुद्दे पर बसपा प्रमुख के शांत होने से बसपा और बसपा प्रमुख सुश्री मायावती की छवि को गहरा आघात लगा है।
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