कासगंज : बाढ़ का कहर, संचार व्यवस्था ठप, राहत कार्यों में बाधा

कासगंज : हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पतित पावनी गंगा ने तबाही मचा दी है। गंगा के बढ़ते जलस्तर से पुलिया और सड़के टूट गई हैं। 61 से अधिक गांव जलमग्न हो गए हैं। कछला ब्रिज पर गंगा का जलस्तर डेंजर लेवल से 61 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। ग्रामीण पलायन कर रहे हैं और संचार व्यवस्था भी ठप्प हो गई है। कुष्ठरोगियों के आश्रम को खाली कर दिया गया है।

कासगंज में गंगा का उफान डेंजर लेवल से 61 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। बाढ़ के पानी से कई जगह सड़कों पर कटान हो गया है, जिससे संपर्क मार्ग बाधित हैं। नगला ढाब के पास रविवार रात तेज बहाव में सुन्नगढ़ी–शाहबाजपुर मार्ग की पुलिया बह गई, जबकि अन्य स्थानों पर भी सड़कें टूट गई हैं। पानी तटवर्ती आबादी में घुस गया है और 60 से अधिक गांव प्रभावित हैं।

सुन्नगढ़ी थाना क्षेत्र की हजारों बीघा फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। नगला ढाब, सुन्नगढ़ी, चोखे नगला, बमनपुरा, किसौल, कॉलोनी, उलीपुर, खुर्द, गणेशपुर भाटन समेत कई गांवों के घरों और खेतों में पानी भर गया है। पशुओं के लिए चारा और सुरक्षित ठिकाने का संकट खड़ा हो गया है, कई पशु बीमार पड़ने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है, क्योंकि खेत, दुकानें और रोजमर्रा का काम ठप हो गया है।

नगला पंसोती के पास नगला जगमोहन में मनरेगा से बने बांध की रखवाली ग्रामीण खुद कर रहे हैं। कटान और रिसाव रोकने के लिए वे फावड़ा और टोकरा उठाकर मरम्मत कर रहे हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र में स्थायी बांध बनाए जाएं, ताकि हर साल बाढ़ का खतरा न रहे।

बाढ़ग्रस्त इलाकों से पलायन तेज हो गया है। नरदोली, मूझखेड़ा, नगला दुर्जन, नगला नरपत, राजेपुर कुर्रा, नगला पदम, नगला चौखे से एक दर्जन से अधिक परिवार सुरक्षित स्थानों पर पहुंच चुके हैं। अधिकांश लोग रिश्तेदारों के यहां शरण ले रहे हैं, जबकि प्रशासन द्वारा बनाई गई बाढ़ चौकियों पर कम लोग ही पहुंचे हैं। विजय नगर चौकी पर अब तक महज चार-पांच लोग ही आए हैं।

पटियाली तहसील के नरदोली क्षेत्र में संचार व्यवस्था ठप है। एकमात्र जीओ टावर बिजली बाधित होने के कारण बंद पड़ा है और डीजल की कमी के कारण नेटवर्क दिनभर उपलब्ध नहीं रहता। अन्य नेटवर्क भी बेहद कमजोर हैं, जिससे परिजन, प्रशासन और राहत दलों से संपर्क टूट गया है। आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों का कहना है कि संचार सक्रिय न होने से राहत और बचाव कार्य प्रभावित होंगे।

ग्रामीणों ने रोष जताया है कि जनप्रतिनिधि अब तक क्षेत्र में नहीं पहुंचे हैं।

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