History of 11 August 2025 : आज ही के दिन स्वतंत्रता संग्राम के इस 18 साल के क्रांतिकारी ने चूमा था फांसी का फंदा, डर गए थे अंग्रेज

History of 11 August 2025 : देश की आजादी की लड़ाई में खुदीराम बोस का नाम अदम्य साहस और अद्वितीय बलिदान के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। 11 अगस्त 1908 को महज 18 वर्ष की अल्पायु में उन्होंने फांसी के फंदे को गले लगाया। अंग्रेज हुकूमत उनकी निडरता और वीरता से इतनी भयभीत थी कि उनकी कम उम्र के बावजूद उन्हें मृत्यु दंड दे दिया गया।

खुदीराम बोस को ब्रिटिश जज किंग्सफोर्ड की हत्या के प्रयास में दोषी ठहराया गया था। गिरफ्तारी के बाद भी उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रही। फांसी के दिन वे हाथ में भगवद्गीता लेकर पूरे आत्मविश्वास और खुशी के साथ चलते हुए फांसी के तख़्ते तक पहुँचे।

उनकी शहादत ने पूरे देश, खासकर बंगाल के युवाओं में क्रांतिकारी जोश भर दिया। उनकी लोकप्रियता का यह आलम था कि बंगाल के जुलाहों ने विशेष किनारी वाली धोती बुनना शुरू कर दी, जिस पर “खुदीराम” लिखा होता था। बंगाल के नौजवान गर्व से वह धोती पहनकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और यह वस्त्र स्वतः ही विद्रोह और देशभक्ति का प्रतीक बन गया।

खुदीराम बोस का बलिदान न केवल स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर हो गया, बल्कि उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि आज़ादी के लिए उम्र नहीं, बल्कि जज़्बा और संकल्प सबसे बड़ा हथियार होता है।

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