साकेत के दरबारी दहशत में : अखिलेश दुबे के सिंडिकेट को खंगालने में जुटी एसआईटी….

  • दरबार में हाजिरी लगाने वाले दारोगा-इंस्पेक्टर सदमे में
  • शिकार खोजने और विष-कन्याएं लाने वाले भूमिगत हुए
  • सिंडिकेट से जुड़े वजीर तथा प्यादे हुए सत्ता के शरणागत

भास्कर ब्यूरो
कानपुर। उम्मीद नहीं थी कि, किसी वक्त साकेत दरबार के चरण-वंदना करने वाली खाकी नए निजाम के दौर में किला जमींदोजं करेगी। खाकी ने अप्रत्याशित और ऐतिहासिक कदम उठाकर अखिलेश दुबे को आनन-फानन में सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। एसआईटी की जांच में तमाम नए जिन्न निकलने की सुगबुगाहट है। रईसजादों और रसूखदारों को आका के इशारे पर बदनाम करने वाली विष-कन्याओं की तलाश जारी है। साथ ही दरबार में नियमित हाजिरी लगाने वाले, सरकारी दफ्तरों की चुगली बताने वालों तथा विष-कन्याओं का इंतजाम करने वालों की सूची पुलिस दफ्तर पहुंच चुकी है। बेजा हरकतों के सबूत-साक्ष्य हासिल होते ही किसी भी वक्त शागिर्दों और रबार के वजीर-प्यादो की गिरफ्तारी की सिलसिला शुरू होगा। ऐसे में साकेत दरबार से जुड़े सभी दरबारी लापता हो गए हैं। मोबाइल-फोन स्विच-ऑफ हैं, नए आका की तलाश में सत्ताधीशों की चौखट पर दूतों के जरिए पैगाम भेजे गए हैं।

केडीए, नगर निगम और तहसील सदमे में
तकरीबन 35 साल से साकेत-धाम का जमीन के धंधे में दखल रखने वाले सरकारी विभागों के साथ-साथ पुलिस महकमे में अघोषित एकछत्र राज कायम था। बगैर ले-आउट प्लाटिंग, नक्शे के बगैर इमारतों का निर्माण और तहसील के कागजात में ब्लेड की खुरचन के बाद लाल-काली स्याही का कमाल करने वालों को साकेत दरबार से मोटा मुनाफा मिलता था। गुजरते वक्त के साथ दरबार का प्रभाव बढ़ा तो हाजिरी लगाने वाले कारिंदों को मलाईदार कुर्सी दिलाने में अखिलेश दुबे की सिफारिश अनिवार्य हो गई। अब पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने योगी दरबार के इशारे पर साकेत दरबार को ध्वस्त कर दिया है तो सरकार के बजाय दरबार के विश्वासपात्र सरकारी मुजालिमों में जबरदस्त दहशत है। एसआईटी की जांच ज्यों-ज्यों आगे सरक रही है, त्यो-त्यों विकास प्राधिकरण, नगर निगम और सदर तहसील के तमाम कर्मचारियों की करतूत की कहानियां सामने आई हैं। केडीए के वर्तमान और अतीत वाले जेई-एई और प्रवर्तन प्रभारी लगायत कुछेक आला अधिकारी अपने-अपने माध्यम से मालूम करने में जुटे हैं कि, एसआईटी की लिस्ट में नाम तो दाखिल नहीं हुआ है।

जनेऊ लड़ाने वाले दारोगा-इंस्पेक्टर जल्द नपेंगे
अखिलेश दुबे पर पहली एफआईआर दर्ज कराने वाले होटल कारोबारी और भाजपा नेता रवि सतीजा का आरोप है कि, इज्जत पर बट्टा लगाने वाली विष-कन्या की शिकायत लेकर पुलिस दफ्तर पहुंचे थे तो एक इंस्पेक्टर ने राहत दिलाने का वादा करते हुए साकेत दरबार में पहुंचा दिया था। ब्राह्मण बिरादरी का यह दारोगा फिलवक्त पुलिस अफसरों की आंख की किरकिरी बना हुआ है। एसआईटी की सदस्य अंजलि विश्वकर्मा ने बीते दिवस दावा किया था कि, उक्त दारोगा के साथ-साथ अखिलेश दुबे सिंडिकेट से बेजा संबंध रखने वाले सभी इंस्पेक्टर-दारोगा के खिलाफ विभागीय जांच और सख्त कार्रवाई तय है। इस ऐलान के बाद अतीत में अखिलेश की कृपा से कमाऊ थाना-चौकी हासिल करने वाले इंस्पेक्टर-दारोगा के साथ-साथ वर्तमान दौर में अखिलेश दुबे सिंडिकेट के लिए काम करने वाले खाकी वर्दीधारियों की शिनाख्त जारी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दक्षिण शहर के आधा दर्जन इंस्पेक्टर-दारोगा पुलिस कमिश्नर की हिट-लिस्ट में शामिल हैं।

दरबारियों के फोन स्विच-ऑफ, लापता हुए
सरकारी कर्मचारियों और दारोगा-इंस्पेक्टर के साथ-साथ साकेत दरबार के लिए विवादित जमीन खोजने वाले ब्राह्मण वजीर और उगाही-ब्लैकमेलिंग के लिए बदनाम बस्तियों और हाईप्रोफाइल सोसाइटी से विष-कन्याओं का इंतजाम करने वाले यदुवंशी प्यादे समेत वक्त-बेवक्त हाथ-पैर चलाने के लिए लफंगों को इंतजाम करने वाले ब्राह्मण नौजवान लापता हैं। सभी के मोबाइल फोन स्विच-ऑफ हैं। शुक्रवार को विकास समिति के कर्ता-धर्ता पिता-पुत्र की गिरफ्तारी की हवा शहर में तैरती रही, लेकिन शाम होते-होते अफवाह साबित हुई। बावजूद, किसी से संपर्क मुमकिन नहीं हुआ। चर्चा है कि, कुछ वक्त पहले नशे के कारोबार के शक में पुलिस कार्रवाई की जद में आए एक लाउंज से जुड़े रईसजादों समेत तमाम दरबारे फिलहाल सत्ताधीशों की शरण में कानपुर-लखनऊ नापने में जुटे हैं, लेकिन ऑपरेशन महाकाल में भगवा निगरानी के कारण किसी ने शरण देने के लिए रजामंदी नहीं दिखाई।

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