Punjab :  ऑपरेशन सिंदूर ने जगाई देशभक्ति, युवाओं का रुझान सेना की ओर

पंंजाब : ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना के प्रयासों का असर युवाओं की सोच पर साफ दिखाई देने लगा है। अब युवाओं का रुझान सेना की ओर बढ़ रहा है और विदेश जाने की चाह में कमी आई है। उनमें देश के लिए कुछ कर दिखाने का जज़्बा मजबूत हो रहा है। पठानकोट के मामून आर्मी कैंट स्टेशन के अधिकारियों ने इस बदलाव की शुरुआत स्कूलों से की है, जहां छात्रों को ऑपरेशन सिंदूर की झलकियां दिखाकर सेना में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

पाकिस्तान से सटी पठानकोट की सीमा पर तैनात सेना न केवल युवाओं को देशहित के कार्यों में भागीदारी के लिए जागरूक कर रही है, बल्कि उन्हें नशे से दूर रखने का भी प्रयास कर रही है। यहां के कई युवा पहले से ही सेना और देश सेवा में सक्रिय हैं। मामून मिलिट्री स्टेशन के अधिकारियों ने युवाओं को सही दिशा देने का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया है, जिससे उनमें देशभक्ति के साथ-साथ नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है।

विदेश से ज्यादा देश में सेवा का संकल्प
एससीएस पठानकोट की 12वीं कक्षा की छात्रा शिवांजलि शर्मा ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर पर हुए सेमिनार से उन्हें पता चला कि भारत सरकार ने किस तरह उन्नत तकनीक से दुश्मन को मात दी। सेना के जवान देश को हमेशा खुद से पहले रखते हैं। उनका मानना है कि जरूरी नहीं है कि हर कोई सेना में भर्ती हो, बल्कि देश के लिए अन्य जिम्मेदारियां भी निभाई जा सकती हैं। अब उनका लक्ष्य विदेश जाने के बजाय देश में रहकर अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।

“अंग्रेजों के गुलाम नहीं बनेंगे”
दसवीं कक्षा के छात्र और एनसीसी कैडेट आरवान ने बताया कि उनके ग्रुप में करीब 40 कैडेट हैं, जिनमें से आधे विदेश जाने की सोच रखते थे। लेकिन सेना की गतिविधियों को समझने के बाद अब सभी का लक्ष्य देश सेवा बन गया है। वे कहते हैं कि जो देश हमें इतना कुछ देता है, उसके लिए काम करना हमारा कर्तव्य है। उनका सपना है कि वे आर्मी में भर्ती होकर अपने पिता की इच्छा पूरी करें और दोबारा “अंग्रेजों के गुलाम” न बनें।

युवाओं को सही दिशा दिखाने का संकल्प
सेना अधिकारियों का कहना है कि युवाओं को देशहित में प्रेरित करना और उन्हें नशे से दूर रखना प्राथमिकता है। पठानकोट बॉर्डर बेल्ट होने के कारण पाकिस्तानी ताकतें यहां के युवाओं को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करती रहती हैं, लेकिन सेना उन्हें सही रास्ता दिखाने का हर संभव प्रयास कर रही है। अधिकारियों का मानना है कि यह सरकार का दायित्व है, फिर भी सेना इसे अपनी जिम्मेदारी मानकर निभा रही है।

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