
- पॉश इलाके में फर्जी दस्तावेज से करोड़ों की जमीन हथियाने का आरोप
- जिला प्रशासन की जांच में अखिलेश दुबे की आफत बढ़ने की उम्मीद
- पाबंद की बावजूद शत्रु-संपत्ति को मुर्दा इंसान के जरिए खुर्द-बुर्द किया
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। ऑपरेशन महाकाल के पहले चरण में यूं तो घोषित तौर पर शिकायतों का पुलिंदा तैयार करना था, लेकिन गंभीर शिकायतों और एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर जरायम के कुनबे पर एफआईआर की बारिश शुरू हो गई है। शहर के चर्चित अधिवक्ता अखिलेश दुबे के खिलाफ गुरुवार को किदवईनगर थाने में फर्जी मुकदमे में फंसाकर वसूली की शिकायत पर एक और एफआईआर दर्ज हुई है। इस मर्तबा भी फिलहाल करीबी साथी लवी मिश्रा सह-अभियुक्त है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, अखिलेश दुबे सिंडिकेट के खिलाफ जमीन कब्जाने और रंगदारी वसूलने के लिए फर्जी मुकदमों की आड़ में उगाही के आठ मामले सामने आए हैं, अभी संख्या बढ़ने की गुंजाइश है। इसी दरमियान, पॉश इलाके में फर्जीवाड़े के जरिए करोड़ों की बेशकीमती जमीन कब्जाने के मामले में प्रशासन की जांच रिपोर्ट में अखिलेश दुबे तथा छोटे भाई पर फंदा कसना तय है।
मुर्दा की अर्टानी से हासिल किया कब्जा
दरअसल, अखिलेश दुबे ने सिविल लाइन में ग्रीनपार्क के करीब 150 करोड़ रुपये कीमत वाली बेशकीमती जमीन को अपनी मिल्कियत बनाने के लिए छोटे भाई सर्वेश दुबे के नाम से 26 फरवरी 2016 की तारीख में 29 वर्ष 11 माह की लीज के लिए कागजात तैयार कराए थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, चार हजार वर्गगज जमीन के लिए मूल पट्टाधारक मुन्नी देवी की पॉवर ऑफ अर्टानी के जरिए राजकुमार शुक्ला ने सम्पत्ति संख्या 13/388 का रजिस्टर्ड पट्टा दिनांक एक मार्च 2016 को सर्वेश दुबे पुत्र स्वर्गीय राम कृष्ण दुबे एवं मेसर्स केनरी ऐपेरलेस प्रा०लि० स्थित पंजीकृत कार्यालय 13/388 सिविल लाइन्स द्वारा निदेशक सर्वेश दुबे पुत्र राम कृष्ण दुबे के पक्ष में किया था। गौरतलब है कि, अव्वल मुन्नीदेवी की लीज अवधि वर्ष 2010 में समाप्त हो चुकी थी, इसके अतिरिक्त वर्ष 2015 में मुन्नीदेवी की मौत हो चुकी थी, जबकि उनके नाम पर वर्ष 2016 तथा वर्ष 2024 में दस्तावेज तैयार किये गये। कानूनन, किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी पॉवर ऑफ अर्टानी स्वतः शून्य घोषित हो जाती है।
प्रशासन की पड़ताल में खुली पोल
अधिवक्ता सौऱभ भदौरिया और आशीष शुक्ला ने पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को भेजे शिकायती प्रार्थना पत्र में आरोप चस्पा किया है कि, अखिलेश दुबे एंड सिंडिकेट ने 18 मई 2001 को घोषित शत्रु सम्पत्ति की खरीद-फरोख्त पर रोक के बावजूद साजिश और फर्जीवाड़ा के जरिए मुर्दा इंसान की पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए चार हजार वर्गगज जमीन कब्जाई है। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने एडीएम सिटी, केडीए सचिव और एसीपी बाबूपुरवा की तीन सदस्यीय एसआईटी से जांच कराई तो जांच रिपोर्ट में सिंडिकेट की पोल खुल गई। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट अंकित है कि, वक्फ सम्पत्ति संख्या 13/388 पर मूल पट्टेदार को वर्ष 2010 तक ही पट्टेदारी के अधिकार थे, लिहाजा उक्त अवधि के बाद मकान संख्या 13/388 पट्टेदारी के अधिकार हस्तांतरित करना मुमकिन नहीं है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी संपत्ति के पट्टाधारकों ने रकम मिलने के बाद जमीन पर सिकमी किराएदार बसा दिए थे। इन्हीं सिकमी किरायेदारों के जरिए फर्जी कागजात बनाकर जमीन को हथियाया गया है। ऐसे में सर्वेश दुबे के पक्ष में पट्टा विलेख निष्पादित करने वाले राजकुमार शुक्ला को उपर्युक्त संपत्ति के मालिकाना हक को स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं प्राप्त था।
गेस्ट हाउस बनाया, किराया बटोरा
आरोप है कि अखिलेश दुबे ने पॉश इलाके में करोड़ों की जमीन पर फर्जीवाड़ा से कब्जा करने के बाद गेस्टहाउस बनाने के साथ कई अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान संचालित करना शुरू किया, जबकि बड़ा हिस्सा किराये पर देकर आमदनी बढ़ाई थी। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही जमीन कब्जाने वाले सिंडिकेट के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। पुलिस की एसआईटी जांच में अखिलेश दुबे सिंडिकेट के खिलाफ फिलहाल आठ शिकायतों के पुख्ता साक्ष्य मिले हैं। कयास है कि, अगले सप्ताह अखिलेश एंड सिंडिकेट के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज होंगी।