
गाजियाबाद : पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गौड़ के आदेश पर चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत देहात कप्तान सुरेंद्र तिवारी के निर्देशन में एसीपी लोनी सिद्धार्थ गौतम और ट्रॉनिका सिटी थाना प्रभारी श्रवण कुमार गौतम के नेतृत्व में पुलिस ने एक बड़ा चौंकाने वाला खुलासा करते हुए दो महिलाओं और दो पुरुषों को गिरफ्तार किया है, जिनके कब्जे से अपहरण हुआ बच्चा भी बरामद किया गया है। गिरफ्तार गिरोह ऑन डिमांड बच्चे चुराकर उन्हें औने-पौने दामों में बेचने का कार्य करता था।
ऑन डिमांड चोरी करते थे बच्चे
एसीपी सिद्धार्थ गौतम ने दैनिक भास्कर संवाददाता एमजे चौधरी से बातचीत के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि ट्रॉनिका सिटी में दर्ज मुकदमे से संबंधित मानव तस्करी करने वाले रैकेट का ट्रॉनिका सिटी पुलिस ने कम समय में पर्दाफाश करते हुए दो पुरुषों और दो महिलाओं को गिरफ्तार किया है। 04.08.2025 को वादी राशिद पुत्र इस्लाम निवासी पूजा कॉलोनी थाना ट्रॉनिका सिटी ने अपने एक वर्षीय नवजात शिशु के अज्ञात व्यक्ति द्वारा अपहरण कर बेचने के संबंध में थाना ट्रॉनिका सिटी में मुकदमा दर्ज कराया था।
चार घंटे में बरामद कर लिया गया बच्चा
नवजात शिशु की सकुशल बरामदगी और अपहरणकर्ताओं की गिरफ्तारी के लिए थानाध्यक्ष ट्रॉनिका सिटी के नेतृत्व में तीन टीमों का गठन किया गया। थाना ट्रॉनिका सिटी पुलिस ने मुखबिर तंत्र और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तलाश करते हुए लोनी इंटर कॉलेज गली के पास पहुंचे। पुलिस को आता देख अपहरणकर्ता नवजात शिशु को गली में छोड़कर अपनी बाइक से फरार हो गए। पुलिस ने अपहृत नवजात शिशु को कड़ी मशक्कत और अथक प्रयास से चार घंटे के अंदर सकुशल बरामद कर, उसे गोद में उठाकर दुलारते हुए माता-पिता को सौंप दिया।
अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार करने के लिए फैलाया जाल
मुखबिर की सूचना और सीसीटीवी में कैद अपहरणकर्ता की पहचान की गई। पहचान के उपरांत गुरुवार को ट्रॉनिका सिटी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर नावेद पुत्र इस्लामुद्दीन निवासी प्रेमनगर थाना लोनी, अफसर अली उर्फ अल्फाज पुत्र मेहदी हसन निवासी अंसार मस्जिद के पास पूजा कॉलोनी थाना ट्रॉनिका सिटी को निशांत कॉलोनी ट्रॉनिका सिटी से और महिला अपहरणकर्ता संध्या पत्नी सौरव चौहान निवासी अंकित विहार पचैड़ा रोड थाना नई मंडी, जनपद मुजफ्फरनगर, तथा स्वाती उर्फ साइस्ता पत्नी वसीम निवासी डंगडूंगरा थाना कांधला, जनपद शामली को खड़खड़ी स्टेशन लोनी के पास से गिरफ्तार किया।
गिरोह में हॉस्पिटल की नर्स, मैरिज ब्यूरो से जुड़े सदस्य भी करते हैं काम
गिरफ्तार अपहरणकर्ता अफसर ने पूछताछ में बताया कि वह मूल रूप से जनपद शामली का रहने वाला है। पाँच माह पहले लोनी प्रेमनगर में किराये पर रहने आया था। वहीं उसकी दोस्ती नावेद अंसारी नामक लड़के से हुई। लोनी से मकान खाली करके पूजा कॉलोनी में किराए पर रहने लगा। नीचे मुर्गे की दुकान करता था। सावन का महीना चलने के कारण मीट की दुकान पूर्णतः बंद थी, पैसे की आवश्यकता के चलते अफसर ने अपने दोस्त नावेद को बुलाया और पड़ोस में रहने वाले राशिद के नवजात शिशु के अपहरण कर उसे बेचने की योजना बनाई।
गैंग में महिलाओं का काम लोगों को माँ दिखाना
इस गैंग में महिलाओं को इसलिए शामिल किया गया कि वे बच्चे की माँ प्रतीत हों ताकि बच्चा ना रोए, ना चिल्लाए। योजना के अनुसार साथी स्वाती उर्फ साइस्ता ने नवजात को बेचने के लिए अपनी दोस्त संध्या से संपर्क किया। अफसर ने बच्चे की फोटो भेजी, जिसे संध्या ने दिल्ली, बिजनौर, मुरादाबाद, रुड़की, अमरोहा आदि में नेटवर्क के लोगों को भेजा। मुरादाबाद की पार्टी ने ढाई लाख रुपये में डील की, लेकिन बाद में अमरोहा से डेढ़ लाख रुपये में सौदा तय हुआ।
कोड वर्ड में बच्चों को कहा जाता था प्लॉट
गिरोह के अनुसार गोरी चमड़ी वाले बच्चों की मांग ज्यादा थी, जबकि सांवले बच्चों की कम। गिरोह ने नवजात शिशु के लिए कोड वर्ड ‘प्लॉट’ रखा था।
गिरोह में महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग भूमिका तय
एसीपी के अनुसार अफसर, नावेद, स्वाती और संध्या एक संगठित गिरोह का हिस्सा हैं। यह गिरोह अपने नेटवर्क के माध्यम से अपहृत शिशु की तस्वीरें दिल्ली, बिजनौर, मुरादाबाद, रुड़की, अमरोहा जैसी जगहों पर भेजकर सौदे करता है। गिरोह का नेटवर्क उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर और नेपाल तक फैला हुआ है।
गिरोह में डॉक्टर, नर्स, चैरिटी कार्यकर्ता भी शामिल
गिरोह में डॉक्टर, नर्स और चैरिटी कार्यकर्ता भी शामिल हैं जो अविवाहित गर्भवती महिलाओं को बच्चे बेचने के लिए राजी करते हैं। कई बार गरीब महिलाओं के नवजात शिशुओं को चुरा लिया जाता है और उन्हें बताया जाता है कि उनका बच्चा मृत पैदा हुआ है। जब वे मृत बच्चे को देखने की मांग करती हैं तो उन्हें पैसे देकर चुप करा दिया जाता है
गिरोह से मिली महत्वपूर्ण जानकारी
यह गिरोह एक अवैध अडॉप्शन रैकेट चला रहा था, जिसमें अस्पताल की नर्सें, आशा वर्कर्स, चैरिटी वर्कर्स और मैरिज ब्यूरो से जुड़ी महिलाएं शामिल हैं। ये लोग सोशल मीडिया के माध्यम से नवजातों की तस्वीरें साझा करते हैं और पैसे लेकर उन्हें बेच देते हैं।
कैसे करते थे अस्पताल आने वाली महिलाओं को मैनेज
अस्पताल में आने वाली अविवाहित और अनचाही गर्भवती महिलाओं को बहला-फुसलाकर उनके बच्चे ले लिए जाते थे। कुछ मामलों में महिलाओं को बताया जाता था कि बच्चा मृत पैदा हुआ है। इसके अलावा, गिरोह बच्चों की मांग पूरी करने के लिए मोहल्लों से भी नवजात शिशु चुराता था
सोशल मीडिया बना कारोबार का साधन
सोशल मीडिया, विशेषकर व्हाट्सएप के माध्यम से बच्चे की तस्वीरें गिरोह के सदस्यों को भेजी जाती थीं। रंग, लिंग और प्रोफाइल के अनुसार कीमत तय होती थी। अब तक गिरोह ने कई बच्चों को दिल्ली, देहरादून, बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर आदि जगहों में बेचा है।
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