
Trump Tariff on India : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। ट्रंप के टैरिफ मिसाइल से भारत की इकॉनामी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता दिख रहा है। ट्रंप द्वारा भारतीय कंपनियों पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाने से निर्यात होने वाली कई वस्तुओं का व्यापार काफी प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि ट्रंप का टैरिफ बम का सबसे ज्यादा असर भारत में किन सेक्टरों में पड़ेगा? आखिर वो कौन-से सेक्टर हैं जो अमेरिका बाजार पर अधिक निर्भर हैं?
दरअसल, ट्रंप ने एक एग्जीक्यटिव ऑर्डर जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि रूस से तेल खऱीदने की वजह से वह भारत पर 25 फीसदी एडिशनल टैरिफ लगा रहे हैं। इससे पहले ट्रंप ने 30 जुलाई को भारत पर 25 फीसदी लगाने का ऐलान किया था। कल (बुधवार को) उन्होंने भारत पर 25 फीसदी एडिशनल टैरिफ लगाने का फरमान जारी कर दिया। यह एडिशनल टैरिफ 21 दिन बाद लागू होगा। टैरिफ के नए बोझ की वजह से भारत से अमेरिका जाने वाला सामान अमेरिका में महंगा हो जाएगा। जिससे अमेरिका को भारत का एक्सपोर्ट कम हो सकता है। ट्रंप के नए टैरिफ का असर भारत के फार्मा, स्टील, सी फूड और टेक्सटाइल सेक्टर पर ज्यादा पड़ेगा।
भारत के टेक्सटाइल सेक्टर पर पड़ेगा अधिक असर
अमेरिकी टैरिफ से भारत में टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटो कंपोनेंट्स, स्टील व एल्यूमीनियम, सोलर उपकरण और आईटी सर्विसेज जैसे सेक्टर में सबसे ज्यादा असर होगा। बता दें कि भारत के कपड़ा निर्यात का करीब 28 फीसदी हिस्सा अमेरिकी बाजार में निर्भर है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को करीब 10.8 बिलियन डॉलर के अपैरल एक्सोप्रट किये थे। वहीं, भारतीय परिधान के आधे से ज्यादा आयात में अमेरिकी कॉटन का प्रयोग होता है। अमेरिका को टेक्सटाइल और अपेैरल एक्सोप्रट करने वाली प्रमुख कंपनियों में ट्राइडेंट, वेलस्पन लिविंग, केपीआर मिल, आलोक इंडस्ट्रीज, हिमतसिंगका सीडे और अरविंद मिल्स शामिल हैं। अभी तक अमेरिका भारतीय टेक्सटाइल पर 10 से 12 फीसदी शुल्क वलूता था, लेकिन अब ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ का एलान किया है, जिससे भारतीय परिधान व्यापारियों को अमेरिकी बाजार में एक्सपोर्ट करने के लिए अधिक शुल्क देना पड़ेगा।
दवाओं के एक्सपोर्ट पर देना होगा अधिक शुल्क
दूसरे नंबर है भारतीय फार्मास्यूटिकल उत्पाद, जिसपर अमेरिकी टैरिफ पर अधिक प्रभाव डालेगा। भारत से जेनरिक दवाओं और संबंधित उत्पादों का अमेरिका का वित्त वर्ष 2025 में निर्यात लगभग 10 बिलियन डॉलर का है। यह भारत के कुल फार्मा निर्यात का लगभग 31-35 प्रतिशत है। यदि फार्मा उत्पादों पर टैरिफ बढ़ोतरी से छूट नहीं मिलती है, तो अमेरिका में भारतीय दवाओं और अन्य उत्पादों की कमी हो सकती है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।
इसके अलावा, ऑटो पार्ट्स और कंपोनेंट्स, रत्न और आभूषण, तेल और गैस क्षेत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 35 से 40 प्रतिशत हिस्सा रूस से प्राप्त करता था। रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएमसी को रूस से मिलने वाले कच्चे तेल पर 2-3 डॉलर प्रति बैरल की छूट मिलती थी। यदि कच्चे तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं भी होता है, तो भी स्रोत बदलने से लागत में 3 डॉलर प्रति बैरल तक की वृद्धि हो सकती है।
जैम और ज्वेलरी एक्सोपोर्ट को भी ट्रंप के नए टैरिफ रेट से झटका लग सकता है। ट्रंप के एडिशनल टैरिफ के ऐलान को भारत ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। एक बयान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत की तरह कई और देश भी हैं, जो रूस से तेल खरीद रहे हैं। इसके लिए सिर्फ भारत को निशाना बनाना ठीक नहीं है। यह अतार्किक है। समझ सले परे हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने एक अरब 40 करोड़ नागरिकों के हितों के हिसाब से फैसले लेता है और आगे भी भारत अपने नेशनल इंटरेस्ट के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।
हालांकि, भारत ने साफ कर दिया कि वह ट्रंप के टैरिफ ब्लैकमे में नहीं फंसेगा क्योंकि ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। इसलिए वह भारत पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं। लेकिन इसी दौरान नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल रूस के दौरे पर मॉस्को पहुंच गए हैं। मॉस्को में डोभाल प्रेसिडेंट पुतिन और रूस के दूसरे बड़े अधिकारियों के साथ बात करेंगे।
भारत रूस के तले का दूसरा बड़ा खऱीदार है। भारत अपनी जरूरत का 42 फीसदी तेल रूस से इंपोर्ट करता है। इसके अलावा भारत अपना करीब 40 फीसदी डिफेंस इक्विपमेंट भी रूस से खरीददता है।
ट्रंप चाहते हैं कि भारत रूस के बजाय अमेरिका से ऑयल खरीदे और अमेरिकी से ही डिफेंस इक्विपमेंट खरीदे। लेकिन अजीत डोभाल का मॉस्को दौरा प्रोसिडेंट ट्रंप के लिए साफ संकेत हैं कि भारत का रुख क्या है? भारत का इरादा क्या है? दिलचस्प बात ये है कि डोभाल जब मॉस्को में उसी समय प्रेसिडेंट ट्रंप के स्पेशन इनवॉय स्टीव विटकॉफ भी प्रेसिडेंट पुतिन से मिलने के लिए मॉस्को पहुंच हैं।
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