
- धाता, मलवा और हुसेनगंज की पोस्टिंग पर उठे सवाल
- साफ छवि के कर्मियों को थानाध्यक्ष बनाने के हैं शासन के निर्देश
लखनऊ। फतेहपुर जनपद में पुलिस विभाग से निलंबित, जेल की हवा खाने वाले और न्यायालयों में जिन इंस्पेक्टर सब-इंस्पेक्टरों के खिलाफ पीड़ित परिवारों ने प्रार्थना पत्र दे रखे हैं, ऐसे ही खाकी के कुछ दागी कंधों पर पुलिस अधीक्षक ने कानून व्यवस्था का जिम्मा डालकर सभी को चौंका दिया है। विभाग में तो खुसुर-पुुसुर शुरू हो ही चुकी है लेकिन जिन कर्मचारियों का जनता के प्रति रवैया बहुत ही अधिक खराब हो चुका है और उनके खिलाफ शिकायतों के पहाड़ है, ऐसे कर्मचारियों की महत्वपूर्ण जगहों पर तैनाती करना बेहद ही चौंकाने वाला है।
सबसे पहले बात करते हैं उप निरीक्षक योगेश कुमार की, जिन्हें धाता थानाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। योगेश इसके पहले सुल्तानपुर घोष, खखरेरू, चांदपुर और बकेवर के थानाध्यक्ष रह चुके है। बकेवर थानाध्यक्ष रहने के दौरान एक लूट की घटना में खराब पुलिसिंग के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इतना ही नहीं उनके खिलाफ न्यायालय में मुकदमे भी हुए। योगेश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वह अपना पूरा काम एसएसआई के कंधे पर डालते हैं और थानाध्यक्षी पद की मलाई खाते हैं। इसके बाद सबसे बड़ा नाम निरीक्षक राजकिशोर का है, जो फतेहपुर में बहुत ही विवादित रहे और इनके कारनामे इतने शानदार रहे कि वह जब प्रतापगढ़ एक साक्ष्य के सिलसिले में पहुंचे तो उन्हें न्यायाधीश ने जेल भेज दिया। जेल जाने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था। राधानगर थाने में तैनाती के दौरान एक भाजपा नेता को पीटने व एक व्यापारी के घर में पुलिसिया तांडव करने के कारण उन्हें लाइन का रास्ता दिखाया गया। फतेहपुर में दाल नहीं गलने पर वह कौशाम्बी पहुंचे और वहां भी मंझनपुर कोतवाली में तैनात हुए और निलंबित हो गए। बहाल होने के बाद वह फिर से फतेहपुर आए और वर्तमान पुलिस अधीक्षक ने उनकी कार्यशैली जाने बिना उन्हें कोतवाली बिंदकी का चार्ज दिया और जब आईजी प्रयागराज द्वारा हस्तक्षेप किया गया तो उन्हें 24 घंटे के अंदर रिवर्ट करना पड़ गया। उन्हीं राजकिशोर को मलवां थाने का चार्ज दिया गया है। जनता के साथ मारपीट करना, उगाही की शिकायतों के चलते राजकिशोर विभाग की छवि कई बार मटियामेट कर चुके हैं। इसके बाद निरीक्षक अरुण कुमार चतुर्वेदी को पुलिस अधीक्षक ने हुसैनगंज थाने का प्रभारी बनाया है। अरुण चतुर्वेदी पूर्व में कोतवाली बिंदकी में जुआं संचालन की एक घटना को लेकर निलंबित किए जा चुके हैं जिसमें विभाग की बहुत ही किरकिरी हुई थी। इसके पहले वह खागा कोतवाल भी रहे, जहां उनकी संगठित छापेमारी और फिर उगाही की रफ्तार देखकर लोग दंग रह गए थे ! हाल ही में मलवा थाने में एक अधिवक्ता के साथ अभद्रता करना और जमीन कब्जा कराने का प्रयास करने के मामले में उनका वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें पुलिस द्वारा लीपापोती कर उन्हें बचा लिया गया। हालांकि अरुण चतुर्वेदी के खिलाफ भी लोगों ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दे रखे हैं जो लंबित हैं। ऐसे गैर जिम्मेदार कर्मचारियों के कंधों पर जो भार डाला गया है, उसने विभाग में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
– एप्रवूल के लिए जबरदस्त उतावलापन !
फतेहपुर । किसी भी थाने का इंचार्ज बनने के लिए सब-इंस्पेक्टर व इंस्पेक्टर को आईजी प्रयागराज द्वारा स्वीकृति लेनी पड़ती है। इसके लिए एप्रवूल फाइल तैनाती जनपद से आईजी प्रयागराज आफिस जाती है। एप्रूवल के बिना कोई भी थानाध्यक्ष या प्रभारी निरीक्षक नहीं बन सकता है। राजकिशोर को हाल ही में जब बिंदकी का चार्ज दिया गया तो वह बिना एप्रूवल के दिया गया था, जिस पर आईजी आफिस से आपत्ति की गई थी। इसके बाद फतेहपुर पुलिस आफिस से राजकिशोर का एप्रूवल कराने के लिए जबरदस्त उतावलापन देखने को मिला था। आम-तौर पर कई कर्मचारियों की स्वीकृति फाइल एक साथ जाती है लेकिन राजकिशोर के मामले में पुलिस आफिस एक पैर खड़ा हो गया और अकेले उन्हीं की फाइल बार-बार भेजी गई थी, जिस पर आईजी आफिस से इस उतावलेपन का कारण भी पूछा गया।
– योगेश कुमार के खिलाफ कई शिकायतें न्यायालय में लंबित
जाफरगंज थाने के रुसिया गांव निवासी वीरेंद्र तिवारी उर्फ वीरू तिवारी खजुहा पीएचसी में कक्ष सेवक के पद पर तैनात हैं। उनका आरोप है कि 27.02.2022 को वह धान बिक्री से मिला करीब 39 हजार रुपया लिए हुए था रात्रि को घर जा रहा था इस दौरान तत्कालीन थानाध्यक्ष चांदपुर योगेश कुमार एक ब्रेजा कार से अपने कुछ साथियों के साथ आए और उसे रोककर तलाशी लेने लगे। तलाशी लेते समय उसके पास से पैसा निकला तो उसे थानाध्यक्ष छीनने लगे तो उसने विरोध किया तो उक्त लोगों ने उसके साथ मारपीट की और जान लेने की नियत से गला दबाकर पैसा लूट लिया और चौकी ले जाकर मारपीट कर अपमानित किया। उसने न्यायालय के जरिए योगेश कुमार समेत चार कर्मचारियों के खिलाफ जून 2022 में मुकदमा पंजीकृत कराया। जिसमें जांच के बाद अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई। वीरू तिवारी द्वारा इस अंतिम रिपोर्ट के खिलाफ न्यायालय में प्रोटेस्ट किया गया है जो वर्तमान में लंबित है। इसी तरह से अमौली के निवासी नीरज कुमार के खिलाफ दूसरों के मुकदमे दिखाकर उसे गुंडा ( हिस्ट्रीशीटर ) बनाने का आरोप भी योगेश कुमार पर लग चुका है जिसमें न्यायालय से बाइज्जत बरी होने के बाद पीड़ित ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और योगेश कुमार के खिलाफ कंप्लेन की थी जिसमें हाईकोर्ट के निर्देश पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक उदयशंकर सिंह ने पीड़ित के बयान दर्ज किए थे, फिलहाल मामला हाईकोर्ट में लंबित है !
– क्या कहते हैं जिम्मेदार
एडीजी जोन प्रयागराज डॉ संजीव गुप्ता ने कहा कि साफ स्वच्छ छवि के कर्मियों को ही थानाध्यक्ष बनाने के स्पष्ट निर्देश हैं, ऐसे कर्मी जो विवादित और जनहित में ठीक नहीं है उनको हटाया जाएगा।थानाध्यक्षों की मॉनिटरिंग आईजी रेंज करते हैं, उनको बोलता हूं वह फतेहपुर के मामले को गंभीरता से देखेंगे। मुठभेड़ प्रकरण की भी जांच करवाई जाएगी, संभव है प्रेस नोट जारी करने में कोई कमी हुई होगी !