बलरामपुर : सरकारी खाद गोदाम में उर्वरक की उपलब्धता से जूझते किसान

सादुल्लाहनगर, बलरामपुर। परसिया ग्राम सभा के सरकारी खाद गोदाम में उर्वरक की किल्लत से किसान परेशान है। लाइसेंसधारी विक्रेताओं पर काला बाज़ारी का आरोप लग रहा है। परसिया ग्राम सभा स्थित सरकारी खाद गोदाम में इन दिनों उर्वरक की भारी किल्लत देखने को मिल रही है, जिससे किसान बेहद परेशान हैं।

खरीफ की फसल के महत्वपूर्ण समय में खाद की अनुपलब्धता किसानों की चिंता का विषय बन गई है। क्षेत्र के किसान कई दिनों से सरकारी गोदाम का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि क्षेत्र के कुछ लाइसेंसधारी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त विक्रेता खाद को सरकारी गोदामों से उठाकर खुदरा वितरण के बजाय कालाबाज़ारी की तैयारी में लगे हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, उर्वरक की खेप आते ही उसे सरकारी गोदाम में न रखकर सीधे कुछ चुनिंदा निजी दुकानों में पहुँचाया जा रहा है, जहाँ किसान उससे अधिक कीमत पर खाद खरीदने को मजबूर हैं।

परसिया के किसान हरिओम यादव ने बताया, “हम हर दिन गोदाम जा रहे हैं, लेकिन कोई साफ जानकारी नहीं दी जाती। कहा जाता है कि खाद अभी आई नहीं है, जबकि बाहर से खबर मिल रही है कि खाद आ चुकी है।” वहीं, रामसनेही प्रसाद, जो बीते 5 दिन से खाद के लिए चक्कर काट रहे हैं, कहते हैं, “खाद न मिलने से खेत सूखे पड़े हैं, और दुकानदार MRP से ज़्यादा दाम मांग रहे हैं।” सरकारी खाद गोदाम के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “खाद की आवक सीमित मात्रा में हो रही है, और मांग ज़्यादा है। ऊपर से निर्देश आने पर ही वितरण शुरू किया जाता है।”

कई किसान संगठनों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उन्होंने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि क्षेत्र के सरकारी खाद गोदाम और लाइसेंसधारी विक्रेताओं की जांच कराई जाए, ताकि किसानों का शोषण रोका जा सके और काला बाज़ारी पर लगाम लगे। इस मुद्दे पर जब उपजिलाधिकारी (एसडीएम) उतरौला से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि, “हमें मामले की जानकारी मिली है। संबंधित विभाग को जांच के निर्देश दिए गए हैं। अगर किसी भी स्तर पर अनियमितता पाई जाती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

जहाँ एक ओर किसान खेतों में पसीना बहाकर देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं, वहीं उर्वरक जैसी बुनियादी आवश्यकता के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है। अगर समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले दिनों में क्षेत्र में किसान आंदोलन की स्थिति बन सकती है।

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