हमीरपुर: कागजों पर 384 गोवंश-निरीक्षण में मिले मात्र 140, भूसा घोटाला या की जा रही चोरी छिपे तस्करी

  • नोडल अधिकारी ने लगाई फटकार, पूछने पर जवाब नहीं दे सके अधिशासी अधिकारी
  • शिकायत के बाद कस्बे की कान्हा गौशाला में औचक निरीक्षण में मिलीं खामियां

हमीरपुर: सुमेरपुर कस्बे की कान्हा गौशाला में सोमवार तक 384 गोवंश बंद दिखाया जा रहा था । मंगलवार को जिले के नोडल अधिकारी पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने दोपहर बाद कान्हा गौशाला का निरीक्षण किया तो महज 140 गोवंश को ही संरक्षित पाया गया। संयुक्त निदेशक के फोन पर बात करने पर अधिशासी अधिकारी की घिग्घी फंस गई एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सके।

बता दें कि आन रिकॉर्ड नगर पंचायत 14 कुंतल भूसा और करीब ढाई कुंतल पशु आहार प्रतिदिन बेसहारा गोवंश को खिला रहा है। इस तरह से देखा जाए तो नगर पंचायत बेसहारा गोवंश के खानपान में करीब 18 हजार रुपये प्रतिदिन खर्च कर रही है। महीने में करीब 5 लाख से ऊपर और साल का करीब 50 लाख रुपए से ऊपर की धनराशि इन गोवंशों पर खर्च कर रही है।

गोवंशों की तस्करी या भूसा घोटाला : नोडल अधिकारी के निरीक्षण के बाद जिले में मामले की चर्चा तेज हो गई है। लोग इसको पशु आहार, भूसा घोटाला या फिर गोवंशों की तस्करी से जोड़कर देख रहे हैं। जब सरकार 50 लाख से अधिक धनराशि इनकी देखरेख खानपान में खर्च कर रही है तो ये जा कहां रहा है। यह खेल कब से चल रहा है कौन कौन इसके पीछे है यह जांच का विषय बना हुआ है।

बेसहारा गोवंश का आतंक

हकीकत यह है कि पूरे कस्बे में बेसहारा गोवंश का आतंक है। यह केवल कागजों में संरक्षित रहकर भूसा खा रहे हैं।मंगलवार को दोपहर बाद लखनऊ से आए पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा. सोम तिवारी ने कस्बे की कान्हा गौशाला का औचक निरीक्षण किया। उन्हें महज 140 गोवंश मौके पर संरक्षित मिले। नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी दिनेश आर्य ने फोन पर बताया कि बाकी गोवंश चरने के लिए गए हैं। जब संयुक्त निदेशक ने कहा कि गोवंश चरने जाते हैं तब 14 कुंतल भूसा और ढाई कुंतल पशु आहार कैसे प्रतिदिन खर्च हो रहा है ? इस पर वह जवाब नहीं दे सके। इससे यह साफ होते दिखा कि गोवंश के संरक्षण की आड़ में भूसा चारा के नाम पर प्रतिमाह बड़ी रकम डकार जा रही है।
संयुक्त निदेशक की फटकार अधिशासी अधिकारी ने

निरीक्षण को बताया अधूरा

संयुक्त निदेशक ने अधिशासी अधिकारी को कड़ी फटकार लगाते हुए बेसहारा गोवंश को पूर्ण रूप से संरक्षित करने के कड़े निर्देश दिए हैं। निरीक्षण के दौरान पशु चिकित्सा अधिकारी डा. अंकुर सचान, पशुधन प्रसार अधिकारी आरबी यादव आदि मौजूद रहे। वहीं नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी दिनेश आर्य ने बताया कि रिकॉर्ड में दर्ज गोवंश से ज्यादा गोवंश संरक्षित है। निरीक्षण के दौरान गोवंश गौशाला में मौजूद थे। लेकिन नोडल अधिकारी ने अंदर भ्रमण ही नहीं किया है। उनका निरक्षण अधूरा है।

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