जनपद में अंधविश्वास की जड़ें : झाड़-फूंक ने फिर ली एक मासूम की जान

औरैया.  इटावा जनपद में झाड़-फूंक के अंधविश्वास की भेंट चढ़ गई एक 18 वर्षीय युवती शैली उर्फ मुन्ना, जिसकी सर्पदंश के बाद इलाज में देरी के चलते दर्दनाक मौत हो गई। घटना इटावा चकरनगर क्षेत्र के हनुमंतपुरा चौराहा के पास एक गांव की है, जहां कल देर रात छत पर सो रही मां-बेटी को जहरीले सांप ने डस लिया।

बेटी की मौत, मां अस्पताल में भर्ती

सांप के काटने से बेटी शैली की हालत बिगड़ने लगी, लेकिन परिजन उसे अस्पताल ले जाने की बजाय पहले ग्राम रीतौर की मड़ैया में एक बाबा के पास झाड़-फूंक के लिए ले गए। लेकिन वहां किसी प्रकार का लाभ न मिलने पर भी समय पर मेडिकल इलाज नहीं मिल सका और सुबह शैली की मौत हो गई।

जबकि शैली की मां रजनी देवी पत्नी भीमसेन को समय रहते जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड-3 में भर्ती कराया गया, जिससे उनकी जान बच गई। ग्रामीणों के अनुसार, सांप करैत प्रजाति का था, जिसका इलाज सिर्फ एंटीवेनम इंजेक्शन से ही संभव होता है।

झाड़-फूंक की दुकानें बन रही मौत की वजह

घटना के बाद यह साफ हो गया है कि ग्राम रीतौर की मड़ैया सहित जनपद में कई स्थानों पर झाड़-फूंक की दुकानें अब भी धड़ल्ले से चल रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जसवंतनगर रेलवे पुल, औरैया के अछल्दा, व अन्य स्थानों पर भी ऐसे ढोंगी बाबा सक्रिय हैं, जो भोले-भाले लोगों को इलाज का झांसा देकर कीमती जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।

न जानकारी, न पोस्टमार्टम, न मुआवजा

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि परिजनों को राज्य सरकार की सर्पदंश सहायता योजना के तहत मिलने वाली ₹4 लाख की मदद की जानकारी तक नहीं थी। इसी वजह से पोस्टमार्टम नहीं कराया गया और बेटी के शव को भारी पत्थर से बांधकर नदी में प्रवाहित कर दिया गया।

ग्रामीणों ने बताया कि यदि उन्हें यह जानकारी होती, तो शायद प्रक्रिया पूरी कर बेटी को सरकारी मदद दिला सकते थे। इस मामले में स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, जिन्होंने जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों तक नहीं पहुंचाई।

क्या यह जिला सर्पदंश से लड़ने के लिए तैयार है

वर्तमान में सांप काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, ऐसे में यदि झाड़-फूंक जैसी अंधविश्वासी प्रथाएं बंद नहीं की गईं, तो राज्य सरकार को न सिर्फ आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि कीमती जानों का नुकसान भी जारी रहेगा।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और समाजसेवियों का कहना है कि अब समय आ गया है कि प्रशासनिक स्तर पर सख्त कदम उठाकर झाड़-फूंक की दुकानों को तत्काल बंद कराया जाए।

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