
उत्तराखंड : विधानसभा का मानसून सत्र 19 अगस्त से शुरू होने जा रहा है, लेकिन प्रदेश सरकार के सामने एक अहम सवाल खड़ा है संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी कौन संभालेगा इस समय राज्य में यह पद खाली है जबकि सदन में इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है।
संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी होती है कि सदन की कार्यवाही के दौरान सरकार का पक्ष मजबूती से रखा जाए साथ ही विपक्ष के सवालों का प्रभावी ढंग से जवाब दिया जाए। लेकिन 17 मार्च 2025 को प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद से यह पद खाली चल रहा है। अब जबकि सत्र नजदीक है, तो सरकार के सामने यह तय करने की चुनौती है कि यह जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए।
कैबिनेट विस्तार से पहले बढ़ी राजनीतिक हलचल
सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी किसी मौजूदा मंत्री को यह दायित्व सौंप सकते हैं।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरी तरह सक्षम हैं और सत्र शुरू होने से पहले संसदीय कार्य मंत्री की घोषणा कर देंगे।
मुख्यमंत्री सभी निर्णयों में सक्षम हैं और सही समय पर उचित निर्णय लेंगे महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी
विपक्ष ने सरकार पर कसा तंज
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे शासन की कमजोरी करार दिया है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार को संसदीय कार्य मंत्री की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री स्वयं ही सारे काम संभालते हैं।
जैसे केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी अकेले ही सब कुछ कर रहे हैं, वैसे ही यहां भी चल रहा है, सूर्यकांत धस्माना उपाध्यक्ष संगठन उत्तराखंड कांग्रेस
सुबोध उनियाल बन सकते हैं नया संसदीय कार्य मंत्री
फिलहाल सरकार की ओर से कैबिनेट विस्तार की संभावना कम ही दिख रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह जिम्मेदारी किसी मौजूदा कैबिनेट मंत्री को ही सौंपी जाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का नाम सबसे आगे चल रहा है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री धामी इस पद की जिम्मेदारी किसे सौंपते हैं और क्या यह निर्णय सत्र से पहले हो पाता है या नहीं।