
Kargil Vijay Diwas 2025 : कारगिल युद्ध में मथुरा के दो शहीद वीरों, नायक रविकरन सिंह और सोरन सिंह की वीरता की कहानी आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। रविकरन सिंह ने आठ गोलियां खाने के बावजूद भी दस दुश्मनों को मार गिराया, वहीं सोरन सिंह ने भी गोलियां लगने के बाद पीछे हटने से इनकार कर दिया और कई दुश्मनों का मुकाबला करते हुए उन्हें परास्त किया। उनके अदम्य साहस और बलिदान ने युवाओं में देशभक्ति की भावना को और भी प्रबल कर दिया है।

हालांकि यह लड़ाई 26 साल पहले, 1999 में लड़ी गई थी, लेकिन मथुरा के इन वीर सपूतों, बलिदानी नायक रविकरन सिंह और सोरन सिंह की कथा आज भी जीवंत है। उस समय, जब पाकिस्तान ने चालाकी और कुटिलता से भारतीय सीमाओं में घुसपैठ की, तो इन जवानों की बहादुरी ने देशभक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया। मथुरा के नौहझील क्षेत्र के गांव नावली के निवासी रविकरन सिंह और गोवर्धन के नगला उम्मेद की नगरिया के बलिदानी सोरन सिंह ने अपनी अंतिम सांस तक दुश्मनों का सामना किया। उनके मंसूबों को सफल नहीं होने दिया।
टाइगर हिल और बटालिक की पहाड़ियों पर लिखी गई वीरगाथाएं आज भी जिले के युवाओं को देशभक्ति का जज्बा जगा रही हैं। एक ने दुश्मनों के दस सैनिकों को गिराया, तो दूसरा गोलियों का सामना करते हुए भी हार नहीं मानी। इन वीरों की शहादत आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
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