
शिमला : हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रखा है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में अब भी 200 से अधिक सड़कें यातायात के लिए बाधित हैं। शुक्रवार सुबह 10 बजे तक एक राष्ट्रीय राजमार्ग समेत कुल 236 सड़कें बंद पाई गईं। इसके अलावा 56 बिजली ट्रांसफार्मर और 139 जल आपूर्ति योजनाएं भी ठप पड़ी हैं।
मंडी और चंबा सबसे अधिक प्रभावित
मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 144 सड़कें और 65 जल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। चंबा जिले के चुराह उपमंडल में नकरोड़-चांजू मार्ग पर (कठवाड़-घारे) भारी भूस्खलन के कारण पहाड़ी दरक गई है, जिससे इस क्षेत्र का अन्य स्थानों से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। ग्राम पंचायत बघेईगढ़, चांजू, चरड़ा और देहरा के ग्रामीणों ने मार्ग शीघ्र बहाल करने की मांग की है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता जोगेंद्र शर्मा के अनुसार, मार्ग बंद होने की सूचना मिलते ही मशीनरी और लेबर को मौके पर भेज दिया गया है।
बारिश के आंकड़े
बीती रात राज्य के कई हिस्सों में अच्छी बारिश दर्ज की गई। जटौन बैराज में 54.0 मिमी, पांवटा साहिब में 41.0 मिमी, कुफरी और सुंदरनगर में 23.0 मिमी, पच्छाद में 19.0 मिमी, धौलाकुआं में 18.0 मिमी, पंडोह में 14.0 मिमी, शिमला में 13.1 मिमी और सोलन में 9.6 मिमी बारिश हुई।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 25 से 31 जुलाई तक राज्य के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम और कुछ स्थानों पर भारी बारिश की चेतावनी दी है। 27, 28 और 29 जुलाई को अधिकतर क्षेत्रों में अच्छी बारिश के आसार हैं। विभाग ने 26 से 31 जुलाई तक कुछ स्थानों पर येलो अलर्ट भी जारी किया है। तापमान में अगले 24 घंटे तक कोई खास बदलाव नहीं आने की संभावना है।
मानसून सीजन में अब तक भारी तबाही
20 जून से 24 जुलाई तक के मानसून सीजन में प्रदेश में 147 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 229 लोग घायल हुए हैं और 34 अभी भी लापता हैं। इन मौतों में 68 सड़क हादसों में हुई हैं, जबकि बाकी मौतें बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में हुईं।
इस दौरान 1,553 कच्चे-पक्के घर, दुकानें और 1,099 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुईं। साथ ही 1,335 पालतू जानवरों की जान भी गई है। अब तक कुल नुकसान का आकलन 1,38,753.16 लाख रुपये (करीब 1,387 करोड़ रुपये) तक पहुंच चुका है।