
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दौरान देशभर के शिवालयों और ज्योतिर्लिंगों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यदि आप भारत से बाहर किसी विशेष शिव मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर एक बेहतरीन विकल्प है। काठमांडू में बागमती नदी के किनारे स्थित यह मंदिर UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी है और भगवान शिव के सबसे प्राचीन व पूज्य मंदिरों में गिना जाता है।
वीजा फ्री यात्रा: भारतीयों के लिए सुनहरा मौका
नेपाल की यात्रा भारतीय नागरिकों के लिए वीजा फ्री है, जिससे पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन और पूजा को सहजता से किया जा सकता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि नेपाल के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध स्थलों में से भी एक है।
कैसे पहुंचे पशुपतिनाथ मंदिर?
काठमांडू तक पहुंचने के लिए भारत से कई रास्ते हैं:
1. ट्रेन + बस के माध्यम से (बजट विकल्प)
- दिल्ली से रक्सौल के लिए ट्रेन (जैसे सत्याग्रह एक्सप्रेस) से यात्रा करें।
- रक्सौल से नेपाल बॉर्डर तक ऑटो या रिक्शा लें।
- बॉर्डर पार कर काठमांडू के लिए लोकल बस या टैक्सी बुक करें।
2. गोरखपुर रूट:
- दिल्ली से गोरखपुर तक ट्रेन लें।
- गोरखपुर से सनोली बॉर्डर तक बस या टैक्सी।
- बॉर्डर पार कर काठमांडू तक बस सुविधा उपलब्ध है (10-12 घंटे की यात्रा)।
3. फ्लाइट से:
- दिल्ली से काठमांडू तक सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।
- त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मंदिर लगभग 5 किमी की दूरी पर है।
कम बजट में नेपाल यात्रा का अनुमानित खर्च
खर्च का विवरण | अनुमानित राशि |
---|---|
दिल्ली से रक्सौल ट्रेन | ₹500 |
बॉर्डर तक रिक्शा व बस | ₹200 |
बॉर्डर से काठमांडू बस | ₹500–700 |
होटल (प्रति रात) | ₹600–1000 |
धर्मशाला विकल्प | ₹200–300 |
भोजन खर्च | ₹500–700 |
कुल खर्च (3 दिन, 2 रात) | ₹2000–3000/व्यक्ति |
पशुपतिनाथ मंदिर दर्शन की समय-सारणी
- मंदिर खुलने का समय: सुबह 4 बजे से रात 9 बजे तक
- सुबह की आरती: सुबह 4 बजे (अत्यंत विशेष और शुभ)
- दोपहर व शाम 5 बजे के बाद मंदिर के पट कुछ समय के लिए बंद होते हैं।
- दर्शन का सबसे उत्तम समय: सुबह व देर शाम
पूरे मंदिर परिसर के दर्शन व भ्रमण में लगभग 1 से 1.5 घंटे का समय लगता है।
मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और विशेषताएं
- मंदिर काठमांडू के देवपाटन क्षेत्र में बागमती नदी के तट पर स्थित है।
- यहां भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति स्थापित है।
- चारों ओर से चांदी के दरवाजे मूर्ति तक पहुंचने का मार्ग प्रदान करते हैं।
- मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से व्यक्ति को कभी भी पशु योनि नहीं मिलती।
- मान्यता है कि यह केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का आधा भाग है।
- दर्शन से पहले नंदी जी के दर्शन न करने की परंपरा है।
मंदिर परिसर में दर्शनीय स्थल:
- बासुकीनाथ मंदिर
- उन्मत्त भैरव मंदिर
- सूर्य नारायण मंदिर
- कीर्ति मुख भैरव मंदिर
- 184 शिवलिंग
- बूंदा नीलकंठ मंदिर